Thursday, March 31, 2022

भारत में गुप्त वंश का उदय( प्राचीन भारत इतिहास भाग-13)

           ✴️ गुप्त वंश(275-550ई.)✴️
गुप्त काल भारत में विकेंद्रीकरण का काल था! 
गुप्त काल में भारत में सामंतवाद का उदय हुआ! 
गुप्त काल को वैदिक धर्म के पुनरुत्थान का काल भी कहते हैं! 
✴️ गुप्त वंश का वर्ण-
किसी भी अभिलेख में इनके वर्ण का उल्लेख नहीं है परंतु गोत्र का उल्लेख है! 
प्रभावती गुप्त अपने अभिलेख में अपने आप को धारण गोत्र का बताया है
स्कंद पुराण के अनुसार धारण  ब्राह्मण गोत्र है परंतु इतिहास का इन्हें क्षत्रिय मानते हैं! 

✴️ गुप्त वंश का मूल स्थान-
इत्सिंग   के अनुसार इनका मूल स्थान बंगाल था
श्री राम गोथल के अनुसार उनका मूल स्थान पूर्वी उत्तर प्रदेश था! 
विष्णु पुराण वायु पुराण के अनुसार इनका मूल स्थान मगध था! 

📀 श्री गुप्त(240-280ई.)
इसे गुप्त वंश का संस्थापक माना जाता है
प्रभावती के ताम्रपत्र में इसे आदिराज कहा गया है
इत्सिंग के विवरण में इसके द्वारा एक मंदिर को 24 गांव दान देने का उल्लेख भी है! 
इसकी उपाधि महाराज की थी परंतु यह एक स्वतंत्र शासक नहीं था! 
📀 महाराज श्री घटोत्कच-
स्कंदगुप्त के रीवा (मध्य प्रदेश) से प्राप्त लेख सुपिया लेख से  गुप्त वंश की वंशावली महाराज श्री घटोत्कच से मानी गई है! 
📀 चंद्रगुप्त प्रथम-
यह गुप्त वंश का वास्तविक संस्थापक माना जाता है! 
इतने महाराजाधिराज की उपाधि धारण की थी
इसकी राजधानी पाटलिपुत्र थी
इसे द्वितीय मगध साम्राज्य का संस्थापक माना जाता है! 
इसने लिच्छवि राजकुमारी कुमार देवी से विवाह किया और वैशाली को प्राप्त किया! 
चंद्रगुप्त प्रथम ने सर्वप्रथम बार गुप्त वंश में चांदी के सिक्के चलाए थे! 
इसने 319 ईसवी में गुप्त संवत चलाया था! 
इस के पुत्र का नाम समुद्रगुप्त था! 
✴️ समुद्र गुप्त(350-375 ई.) 
इनकी उपाधि थी- लिच्छवी दौहीत्र
इतिहासकार विंसेंट स्मिथ ने इन्हें भारत का नेपोलियन कहा है! 
समुद्रगुप्त की जानकारी के साधन-
प्रयाग प्रशस्ति-
इसे  इलाहाबाद प्रशस्ति या API लेख कहा जाता है! 
इस प्रसस्ति को समुद्रगुप्त की आत्मकथा भी कहा जाता है
इसके रचनाकार हरिसेण थे
इस प्रशस्ति  के पत्थर को तिलहर भट्ट ने खुदवाया था! 
इसकी भाषा संस्कृत तथा शैली चंपू थी! 
एरण स्तभलेख- 
यह स्तंभलेख मालवा(mp) से प्राप्त हुआ है! 
इस लेख में समुद्रगुप्त की पत्नी दत्त देवी का नाम उल्लेखित है
प्रभावती गुप्त इसकी पौत्री थी जिसने पुना अभिलेख में इसके द्वारा करवाए गए अश्वमेध यज्ञ का वर्णन किया है! 

समुद्रगुप्त ने छह प्रकार के सिक्के चलाए थे-
1. गरुड प्रकार के सिक्के
2. धनुरधारी प्रकार के सिक्के
3. वीणावादन प्रकार के सिक्के
4. आश्वमेघ प्रकार के सिक्के
5. परशु प्रकार के सिक्के
6. व्यांघ्रहनन प्रकार के सिक्के

✴️ समुद्रगुप्त की विजय-
आर्यव्रत के प्रथम युद्ध में समुद्रगुप्त ने उत्तर भारत की तीन शक्तियां (अच्युत,नागसेन, कोतुजुजला) को पराजित किया! 
समुद्रगुप्त ने दक्षिण भारत के 12 राज्यों को हराया था
आर्यव्रत के द्वितीय युद्ध में उत्तर भारत के 9 राज्यों को हराया ताम्रपत्र इससे परम भागवत कहा गया! 


🌅 चंद्रगुप्त द्वितीय-
इसे चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के नाम से भी जाना जाता है! 
इसके काल को गुप्त काल का स्वर्ण काल कहा जाता है! 
विशाखदत्त के ग्रंथ देवीचंद्रगुप्तम् के अनुसार इसने अपने भाई को मारकर शासक  बना था
📀 वैवाहिक संबंध नीति-
नागवंश की राजकुमारी कुबेरनागा से प्रभावती का जन्म हुआ प्रभावती के पुना अभिलेख से समुद्रगुप्त द्वारा कराए गए अश्वमेघ का पता चलता है! 
प्रभावती का विवाह विदर्भ के राजा रूद्रसेन से हुआ था
✴️ चंद्रगुप्त द्वितीय के प्रमुख अभिलेख-
लोह स्तंभ लेख (दिल्ली)-  इस अभिलेख से चंद्रनामा राजा का वर्णन मिलता है! 
सांची लेख- इस लेख से शकों को पराजित करने का वर्णन मिलता है तथा सकारी की उपाधि धारण करने का वर्णन भी मिलता है! 
उदयगिरी भोपाल लेख (मध्य प्रदेश) तथा मथुरा लेख चंद्रगुप्त द्वितीय के विषय में जानकारी देता है! 
चंद्रगुप्त द्वितीय के अन्य देवगुप्त देवराज देवश्री था! 
किसके शासनकाल में (399-1414ई.) दरबार में फाहियान आया था जिसकी पुस्तक फो यू की थी! 
चंद्रगुप्त द्वितीय के दरबार में नवरत्न-
1. कालिदास-
इसे भारत का शेक्सपियर भी कहा जाता है! 
इसके महाकाव्य रघुवंश व कुमारसंभव थे! 
इसके खंडकाव्य  मेघदूत और ऋतुसंहार थे! 
इसके नाटक अभिज्ञानशाकुंतलम् मालविकाग्निमित्र विक्रमोवंशीयम थे! 
2. धनवंतरी-
यह एक चिकित्सक था जिसने नवनीतकम पुस्तक लिखी थी! 
3. वरामिहीर- 
यह एक ज्योतिषयज्ञ था जिसने पंचसिद्धांतिका लघुजातक, वृहतसंहिता पुस्तकों की रचना की है
4. अमर सिंह- इसने अमरकोश की रचना की है! 
वरुधि, शंकु, बेताल भट्ट, रक्टटकारपर जैसे विद्वान भी इसके नवरत्न में शामिल थे! 

✴️ कुमारगुप्त-
इसके सिक्कों मे  गरुड़ के जगह मयूर का चिन्ह बना था! 
नालंदा विश्वविद्यालय का निर्माण किसने कराया था! 
इसने अश्वमेध यज्ञ का भी आयोजन कराया था! 
इसने महेंद्रादित्य की उपाधि धारण की थी! 

✴️ स्कंदनगुप्त-
यह गुप्त वंश का अंतिम प्रतापी राजा था! 
इसके समय हुण आक्रमण हुआ था जिसका नेतृत्व खुशनवाज ने किया था! 
जूनागढ़ अभिलेख के अनुसार इसके गवर्नर प्रणदत्त के पुत्र चक्रपालित ने सुदर्शन झील का पुनर्निर्माण कराया था! 
✴️ गुप्त काल में महत्वपूर्ण मंदिर
1- विष्णुमंदिर तिगवा (जबलपुर मध्य प्रदेश) 
2- शिव मंदिर भूमरा (नागोद मध्य प्रदेश) 
3- पार्वती मंदिर नचना-कुठार (मध्य प्रदेश) 
4- दशावतार मंदिर देवगढ़ (झांसी, उत्तर प्रदेश) 
5- शिवमंदिर खोह (नागौद, मध्य प्रदेश) 
6- भीतरगांव का मंदिर लक्ष्मण मंदिर (ईटों द्वारा निर्मित) भितरगांव (कानपुर, उत्तर प्रदेश)

भानु गुप्त के एरण अभिलेख (510 ईसवी) से सती प्रथा का प्रथम उल्लेख मिलता है! 
इस वंश का अंतिम राजा कुमार गुप्त द्वितीय अर्थात विष्णु गुप्त था! 

✴️ गुप्तकालीन कला साहित्य एवं विज्ञान-
इस समय को इतिहास में भारत का  कला साहित्य का स्वर्ण काल कहते हैं! 
संस्कृत भाषा का अधिक प्रयोग होने के कारण इसे शास्त्रिय युग भी कहते हैं! 
गुप्त काल के साहित्य-
भास ने चारुदता और उरूभंग की रचना की थी! 
विष्णु शर्मा ने पंचतंत्र की रचना की थी! 
वात्सायना ने कामसूत्र की रचना की थी! 
आर्यभट्ट ने सूर्यसिद्धांत की रचना की थी! 
शूद्रक ने मृच्छकटिकम् की रचना की थी! 
असंग एकमात्र बौद्ध लेखक था जिसने योगाचार व भूमिशास्त्र की रचना की थी! 
भास्कराचार्य ने सिद्धांतशिरोमणि की रचना की थी! 
भट्टी ने रावण वध की रचना की! 
✴️गुप्तकालीन चित्रकला-
1. अजंता चित्रकला-
इस चित्रकला के साथ औरंगाबाद (महाराष्ट्र) में मिले है! 
कनिंघम ने यहा से 9 गुफाएं खोजी थी! 
7 वी गुफा में जातक कथा का चित्रण है! 
2. एलोरा चित्रकला-
यहां से 34 गुफाएं प्राप्त हुई है! 
3. बाघ की गुफा-
यह गुफाएं ग्वालियर मध्य प्रदेश में है! 
इन गुफाओं की खोज डेंजर फिल्ड ने की! 
यहां से 9 गुफाएं प्राप्त हुई है! 

✴️गुप्तकालीन विज्ञान-
🏵आर्यभट्ट-
यह चंद्रगुप्त द्वितीय के समकालीन था! 
इसने शुन्य तथा पाई का आविष्कार किया है! 
सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के बारे में सर्वप्रथम इसी ने बताया था! 
इनके नाम पर 19 दिसंबर 1975 को भारत का पहला सेटेलाइट छोड़ा गया! 
🏵वराहमिहिर-
यह उज्जैन का निवासी था जिसने वृहतसंहिता तथा पंच सिद्धांतिका लिखी थी!
✴️ब्रह्मगुप्त ने ब्रह्मस्फुट की रचना तथा भास्कराचार्य एक गणितज्ञ थे इनका  संबंध भी गुप्त वंश से है! 

इन्हें भी जाने-
गुप्त काल में प्रांतों को भुक्ति कहा जाता था इसका प्रमुख अधिकारी उपरीक कहलाते थे! 
गुप्तकालीन जिला को प्रदेश कहा जाता था सबसे छोटी इकाई ग्राम होती थी इसका सर्वोच्च अधिकारी महतर होता था! 
पैठ गांव का एक समूह होता था! 
विथी  तहसील को कहा जाता था
गोप्ता सीमांत क्षेत्रों का प्रधान कहलाता था! 
गुप्त काल में कर्मचारियों को नगद वेतन दिया जाता था! 
इस कार में मृत्युदंड का कोई उल्लेख नहीं है! 
सोने के सिक्के को दिनार तथा चांदी के सिक्के को रूप्यक कहा जाता था! 









No comments:

Post a Comment