✴️हड़प्पा सभ्यता का उदय✴️
✴️1904 में लार्ड कर्जन के समय भारतीय पुरातत्व विभाग का गठन कोलकाता में हुआ जिसके प्रथम अध्यक्ष अलेक्जेंडर कनिंघम थे!
✴️भारत की सबसे प्राचीन नगरीय सभ्यता हड़प्पा सभ्यता है इसे सिंधु घाटी की सभ्यता भी कहते हैं!✴️1921 में जॉन मार्शल की अध्यक्षता में दयाराम साहनी के नेतृत्व में हड़प्पा की खुदाई हुई 1924 में लंदन से जॉन मार्शल ने इस सभ्यता की घोषणा की!
✴️ हड़प्पा सभ्यता के नामकरण में मत-
🌳जॉन मार्शल ने इसे सिंधु घाटी सभ्यता का नाम दिया! इस सभ्यता का काल 4000 ईसा पूर्व का बताया है!
🌳मार्टीमर व्हीलर ने इसे हड़प्पा सभ्यता कहा! इन्होंने इस सभ्यता का काल 2800-1500 ई.पूर्व का बताया है!
🌳अर्नेस्ट मैके में इसे हड़प्पा संस्कृति कहा!
⛲ डॉक्टर आरके स्मिथ ने इस सभ्यता का काल 2500-1500 ई.पूर्व का बताया है!
☀ डॉक्टर आरके मुखर्जी ने इस सभ्यता का काल 2350-1750 ईसा पूर्व का माना है
🌳मेसोपोटामिया की सभ्यता में मेलुहा शब्द मिला है जिसका संबंध हड़प्पा सभ्यता से है!
✴️ इस सभ्यता से जुड़ी लगभग 1400 स्थल खोजे जा चुके है इसमें से लगभग 925 भारत में तथा 475 पाकिस्तान में है!
✴️ हड़प्पा सभ्यता का उद्गम- ईरान व बलूचिस्तान की ग्रामीण संस्कृति से नगरी सभ्यता का जन्म हुआ है!
✴️ गार्डन चाइल्ड ने सिंधु सभ्यता को प्रथम नगरी क्रांति कहा है!
✴️ हड़प्पा सभ्यता की जानकारी सबसे पहले 1826 में चालर्स मैसन ने दि थी!
✴️ हड़प्पा सभ्यता का काल 2300 ई. पू. से 1740 ई. पू्. (2500-1750ई.पु.) के मध्य का था!
⚫ सिंधु सभ्यता का क्षेत्र त्रिभुजाकार था इसका क्षेत्रफल 1299600 वर्ग किलोमीटर था! पूर्व से पश्चिम 1600 किलोमीटर तथा उत्तर से दक्षिण 1400 किलोमीटर था!
⚫ यह सभ्यता की खुदाई से भिन्न भिन्न प्रजातियों की अस्थि पंजर प्राप्त हुए- भूमध्य सागरीय, मंगोलियन, प्रोटो ऑस्ट्रेलियड तथा अल्पाइन
⚫ सिंधु सभ्यता उत्तर में मांडा (जम्मू), दक्षिण में दैमाबाद पूर्व में आलमगीरपुर दक्षिण में मकरान समुद्र तट बलूचिस्तान और सुत्कागेंडोर तक फैली है!
⚫ पासा इस काल का प्रमुख खेल था!
⚫ माप तोल के लिए घनाकार बांटे थी और यह दशमलव पद्धति से प्रचलित थे!
🟠 यह एक कास्यंयुगी नगरी सभ्यता थी!
⚫ इनका समाज मातृसत्तात्मक था!
🟠 सिंधु सभ्यता में आर्थिक स्थिति का प्रमुख आधार व्यापार एवं वाणिज्य था!
⚫ वृक्षों में पीपल सबसे पवित्र थाl
✴️ हड़प्पा सभ्यता की लिपि की खोज 1923 में हुई जो भाव चित्रात्मक थी जो दाएं से बाएं लिखी जाती थी यह लिपि बूस्ट्रोफेडन/हलावर्त/गौमूत्रिका शैली कहलाती है सबसे ज्यादा यू (u)आकार की चित्र व मछली के चित्र मिले हैं मूल चित्रो की संख्या 64 थे!
महत्वपूर्ण- सिंधु लिपि को पढ़ने की शुरुआत 1925 में वैडेल तथा 1934 में वैज्ञानिक पद्धति द्वारा इस लिपि को पढ़ने की कोशिश हंटर महोदय ने की!
✴️ मोहनजोदड़ो से शिव के पारंपरिक रूप की पूजा के अवशेष अर्थात पशुपति की मूर्ति मिली है इसे जैन अनुयाई आदिनाथ की मूर्ति बताते हैं! इस सभ्यता से मंदिर के प्रमाण नहीं मिले हैं परंतु मूर्ति के प्रमाण मिले है!
🟠 सिंधु सभ्यता के प्रमुख नगर-
✴️ हड़प्पा- दयाराम साहनी ने 1921 मे रावी नदी के तट पर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मांटगोमेरी जिले में इसका उत्खनन किया था!
यहां से सबसे अधिक अभिलेख युक्त मोहरे, पीतल की इक्का गाड़ी, स्त्री के गर्भ से निकलता पौधा, समाधान के गड्ढे में ईट लगाने के प्रमाण, कांसे का दर्पण, सुरमा लगाने की सलाई, कर्मचारियों के आवास, लाल पत्थर से बनी पुरुष की निर्वस्त्र छड़ की आकृति, r-37 कब्र मातरदेवी की मूर्ति, लकड़ी का ताबूत, फसल रखने का खज़ाना, ताबे गलाने का पात्र इत्यादि प्राप्त हुआ!
महत्वपूर्ण तथ्य- यहां से एबी नामक किला मिला है और यहां से नग्न स्त्री के गर्भ से निकलता पौधा मिला है जिसे उर्वरकता कि देवी कहा जाता है, कास्य बैल गाड़ी, स्वास्तिक चिन्ह मिला!
🎡याद रखे- स्टुअर्ट पिग्गट ने कडप्पा को अर्द्ध औद्योगिक नगर का है
✴️मोहनजोदड़ो- इसे मृतकों का टीला भी कहा जाता है इसकी खोज 1922 में राखालदास बनर्जी ने सिंधु नदी के तट पर पाकिस्तान के लरकाना जिले में की थी!
यहां से विशाल स्नानागार, नाव के चित्र वाली मुद्रा बौद्ध स्तूप,लिंग पूजा के प्रमाण,वृषभ की मूर्ति अन्नागार, सिटदार शौचालय, 1398 मोहरे, पुरोहित की छड, मिश्रित पशु की मूर्ति, नर्तकी की कांसे की मुर्ति, घोड़े के दांत, सभागार मिले है!
महत्वपूर्ण- विशाल स्नानागार को जॉन मार्शल ने विश्व की धार्मिक महत्व की आश्चर्यजनक निर्माण कहा है!
शिव के प्रारंभिक रूप की मुहरे मिली है जिसे तांत्रिक मुहर या समन की मुहर कहते है!
✴️लोथल- लोथल की खोज 1955-62 एस.आर राव ने भोगवा नदी के तट पर अहमदाबाद गुजरात में की थी यह एक बंदरगाह है!
यहां से गोदीबाड़ा, अन्नागार, स्नानघर, नालियों की अच्छी व्यवस्था, हाथी दांत, घोड़े की मिट्टी की मूर्ति, युगल समाधान, नालियों से सोख्ता गड्ढा, औद्योगिक क्षेत्र, सेलखड़ी की मोहरे, सीप, मनके बनाने के कारखाने,अग्नि पूजा के संकेत,बाजरे के साक्ष्य, पीसने की चक्की के दो पटाल, फारस की मुद्रा के साक्ष्य मिले हैं
महत्वपूर्ण तथ्य- इसे लघु हड़प्पा भी कहा जाता है यहां से 3 युग्म समाधिया मिली है जो सती प्रथा के साक्ष्य माने जाते हैं! यहां से पंचतंत्र की लोमड़ी के चित्र भी मिले!
✴️धौलावीरा-इसकी खोज वर्ष 1968 में पुरातत्त्वविद् जगतपति जोशी द्वारा की गई थी। यह गुजरात के कच्छ जिले में हैl इसे 2021 में यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत की श्रेणी में घोषित किया गया यह सबसे नवीनतम नगर है l
यह एकमात्र नगर जो 3 भागो में विभाजित था यहां से एक विशाल स्टेडियम के भी प्रमाण प्राप्त हुए हैं पोलिसदार सफेद पत्थर के साक्ष्य, तथा चट्टानों को काटकर 16 तालाब बनाने के साथ भी मिले!
महत्वपूर्ण- धौलावीरा का अर्थ होता है सफेद कुआं
✴️कालीबंगा- यह 1953 में बीबी लाल वीके थापर ने घाघरा नदी हनुमानगढ़ जिला गंगानगर राजस्थान से उत्खनन किया तथा इसे खोजा अमलानंद घोष ने। यहां से कहां थे व मिट्टी की चूड़ियां कच्ची ईंटों से बने 7 अग्निकुंड जूते हुए खेत तांबा गलाने की तकनीक, सिलबट्टा, मिट्टी से निर्मित भवन, तीन प्रकार के समाधान प्रथाएं मिली है!
महत्वपूर्ण बिंदु-
कालीबंगा का अर्थ होता है काले रंग की चूड़ियां
इसे इस सभ्यता की तीसरी राजधानी डॉ दशरथ शर्मा ने कहा है
यहां से ग्रिड पेटर्न विधि से जूते खेत मिले है
यहां से शल्य चिकित्सा का वर्णन मिला है
मिट्टी से जनन अंगों के प्रतीत मिले हैं
भूकंप के साक्ष्य मिले है
मिट्टी की अग्नि वेदिका मिली है परंतु मिट्टी की मूर्तियां नहीं मिली है।
✴️बालाकोट- यह अरब सागर के तट में कराची के निकट का बंदरगाह है जहां से प्राग् सैंधव व विकसित सैंधव सभ्यता के अवशेष मिले!
✴️चंहुदडो- इसकी खोज 1931/1934 में गोपाल मजूमदार ने की थी यह पाकिस्तान की सिंध में स्थित है यहां से लिखने की चौकियां मसीपत्र सील या मुद्राओं के निर्माण के कारखाने मनका बनाने के कारखान ईटों से बनी भड्डीया मिली है!
याद रखें- चंहुदडो का उत्खनन अर्नेस्ट मैके ने किया।
महत्वपूर्ण तथ्य- जहां एक मात्र स्थान था जहां से वक्राकार ईट मिली है यह एक मात्र स्थान था जहां से दुर्ग के साक्ष्य नहीं मिले! यह सभ्यता का औद्योगिक स्थल था! ईद पर एक बिल्ली का पीछा करते हुए कुत्ते के पंजों के निशान मिले है!
✴️बणवाली- इसकी खोज 1973-74 में रविंद्र सिंह बिष्ट ने घाघरा नदी के तट पर हिसार (हरियाणा) में की यहां से मिट्टी का हाल प्राप्त हुआ है!
एक अर्ध वृत्ताकार ढांचा प्राप्त हुआ है जिससे मंदिर होने की संभावना व्यक्त की गई है!
यहां से मिट्टी का खिलौना वाला हल मिला है!
यहां से एक जोहर का मकान और बास बेसिग भी मिला है!
✴️रोपड़- इसकी खोज 1955-56 में यज्ञदत्त शर्मा ने पंजाब सतलज नदी के तट पर की यहां से मानव कब्र के नीचे कुत्ते का सवाधान मिला है!
इसके वर्तमान का नाम रूपनगर है!
यहां से ताबे की कुल्हाड़ी मिली है
मनुष्य के साथ कुत्ता दफनाने का साक्ष्य मिला!
✴️ सुरकोटदा- इस स्थल की खोज 1972 में कच्छ गुजरात में यज्ञदत्त शर्मा जी ने की!
यहां से घोड़े की अस्तियां प्राप्त हुई है!
यहां से पत्थर से ढकी हुई कब्र मिली है!
यहां से कलश समाधान भी मिले है!
✴️रंगपुर- इस स्थान की खोज 1953-54 में रंगनाथ राव ने भादर नदी के तट पर गुजरात के काठियावाड़ जिले में की!
नष्ट होती सभ्यता के संकेत यही से मिले
यहां से चावल के साथ भी मिले!
Note- हड़प्पा सभ्यता के लोग चावल घोड़े लोहे से प्रचलित थे!
✴️ राखीगढ़ी- इसकी खोज 1969 में सूरजभान ने की थी। यह घगर नदी के तट पर हरियाणा में है
यहां से स्तंभ आयुक्त मंडप के प्रमाण मिले!
मई 2012 में इसे यूनेस्को ने ग्लोबल हेरिटेज फंड में शामिल किया!
महत्वपूर्ण- हड़प्पा सभ्यता का सबसे बड़ा नगर राखीगढ़ी है!
✴️शोर्तुगोई- यह स्थान अफगानिस्तान में है एक मात्र स्थान जहां से नहरो की जानकारी मिली है!
🎇हड़प्पा सभ्यता के पतन के कारण-
1. मार्टिमर व्हीलर व गार्डन चाइल्ड के अनुसार इस सभ्यता का अंत आर्य या बाह्य आक्रमण के कारण हो
2. कनेडी महोदय के अनुसार इस सभ्यता का पतन महामारी के कारण हुआ!
3. जॉन मार्शल के अनुसार इस सभ्यता का पतन प्रशासनिक शिथिलता (गृह युद्ध) के कारण हुआ!
4. एमआर साहनी के अनुसार इस सभ्यता का पतन भूकंप के कारण हुआ है!
5. अमलानंद घोष और ऑरेंज स्स्टेइन के अनुसार इस सभ्यता का अंत जलवायु परिवर्तन के कारण हुआ!
🌅हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख अन्य स्थल-
1. मुण्डीगाटक- यह स्थान अफगानिस्तान में था!
2. कुंतागी,देशलपुर,मालवण,रोजदी- ये स्थान गुजरात में था!
3. कुनाल,राखीगढ़ी,बनवाली, मीताथल- यह स्थान हरियाणा में है!
4. बडगांव,अम्बखेडी- यह स्थान उत्तर प्रदेश में स्थित है!
5. दैमाबाद प्रवरा नदी के तट पर महाराष्ट्र में है!
6. सुत्कागेंडोर- राजस्थान 1927 में दशक नदी के तट पर ऑरेंज स्टाइन ने बलूचिस्तान (पाकिस्तान) में खोजा!
7. कोटदीजी- यह स्थान 1955-57 में सिंध प्रांत के खैरपुर नगर में फजल अहमद खा ने खोजा!
8. आलमगीरपुर- यह स्थान 1958 में हिंडन नदी मेरठ से यज्ञदत्त शर्मा जी ने खोजा!
9. मालवण- यह स्थान ताप्ती नदी के तट पर गुजरात में अल्विन ने खोजा!
🏵 हड़प्पा सभ्यता से महत्वपूर्ण तथ्य🏵
✴️ इस सभ्यता के प्रमुख बंदरगाह लोथल रंगपुर सुरकोटड़ा,प्रभासपाटन था!
✴️ लोथल से प्राप्त मृदभांड में एक व्यक्ति पर मुंह में मछली पकड़े हुए चिड़िया और नीचे एक लोमड़ी का चित्र बनाया गया है जो पंचतंत्र की कहानी के समान है!
✴️ सामान्यत मृदभांड गुलाबी रंग या लाल रंग के होते थे!
✴️ यह सभ्यता शांतिप्रिय मानी जाती है परंतु लोथल व रोपड़ से ताबे की कुल्हाड़ी के साक्ष्य मिले है!
✴️ ताबे की मुहरे लोथल व देसलपुर से मिली है! सबसे अधिक मुहरे मोहनजोदड़ो से मिली है!
✴️ कालीबंगा और मोहनजोदड़ो से प्राप्त मुहरे पशु बलि के साथ प्रकट करती है!
✴️ मुहरो में वृषभ, हाथी, गैडे, हिरण मछली घडियाल के चित्र बने थे!
✴️यह लोग गन्ने से अप्रचलित है
✴️कपास का ज्ञान सबसे पहले इन्हीं को था यूनानी ने कपास को सिण्डल कहा है!
✴️ हड़प्पा और चंहुदडो से कांसे की बैलगाड़ी मिली है!
✴️ लोथर से आटा पीसने वाली चक्की और हाथी दांत का पैमाना के साक्ष्य मिले है!
✴️ इस सभ्यता का एक बर्तन ओमान (सऊदी अरब) से मिला!
✴️ इस सभ्यता की मुख्य फसल गेहूं और जौ थी!
✴️ डैडमैन लाइन(कंकालो से भरी गली) और कुऐं के साक्ष्य मोहनजोदड़ो से मिले है!
☀ सिंधु सभ्यता में ईंटों का अनुपात 4:2:1 का होता था!
🌟 चन्हुदडो हड़प्पा सभ्यता में मुद्राओं के उत्पादन का मुख्य केंद्र था!
🏵 इस सभ्यता के प्रमुख आयतीय वस्तुएं-
1. लाजवर्द(भवन निर्माण सामग्री)- अफगानिस्तान
2. सोना- फारस
3. चांदी- ईरान
4. टीन- अफगानिस्तान
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