भारत में पहली बार केंद्रीकृत साम्राज्य वह विस्तृत नौकरशाही की स्थापना मौर्य काल में हुई!
मौर्य मूल रूप से पीपलीवन (नेपाल) के थेl
ब्राह्मण साहित्य में मौर्य को शुद्र और बौद्ध ग्रंथों में क्षत्रीय कहा है!
जानकारी के साधन-
1.अर्थशास्त्र पुस्तक-
यह पुस्तक विष्णु शर्मा अर्थात चाणक्य की है!
यह राजनीतिक विज्ञान पर आधारित पुस्तक है!
इसमें 15 अधिकरण 140 प्रकरण 400 श्लोक है !
छठे अधिग्रहण में राज्य का सप्तांग सिद्धांत (स्वामी अमात्य दुर्ग राष्ट्रीय बाल कोष मित्र) दिया गया!
2. मुद्राराक्षस-
इस पुस्तक के लेखक विशाखदत्त है!
इस पुस्तक से मौर्य काल की गुप्तचर व्यवस्था का पता चलता है!
3. वृहतकथामंजरी-
इस पुस्तक के लेखक क्षेमेंद्र है!
4. कथासरित्सागर-
इस पुस्तक के लेखक सोमदेव है!
5. इंडिका-
इस पुस्तक के लेखक यूनानी शासक सेल्यूकस निकेटर का राजदुत मेगस्थनीज जो ग्रीक भाषा में थी!
भारत में आने वाला पहला राजदूत था!
इस पुस्तक को मौर्य काल का दर्पण कहा जाता है!
मैग्नेटिक ने पाटलिपुत्र का नाम बोधा रखा है इसी के समय प्रथम जैन संगीति हुई थी!
इस पुस्तक में पाटलिपुत्र कि प्रशासन व्यवस्था का वर्णन है!
इस पुस्तक की खोज 1858 में स्वागबैंग की और इसका अंग्रेजी अनुवाद 1892 में मे हुआ!
6.अशोक के अभिलेख-
सर्वप्रथम 1750 में टी फैन्थलर ने अशोक के अभिलेखों को खोजा था 1837 में जेम्स प्रिंसेप ने इन्हें पढा था अधिकांश की भाषा प्राकृत और उनमें अशोक का नाम देवनामप्रिय/प्रियदस्सी मिलता है इन अभिलेखों की भाषा ब्राह्मी थीl
Note- मेरठ व टोपरा अभिलेखों को फिरोज तुगलक दिल्ली लाया था और अकबर इलाहाबाद के अभिलेख को दिल्ली लाया था!
🟠 मौर्य वंश के शासक-
✴️ चंद्रगुप्त मौर्य-
यह जैन धर्म का अनुयाई था
भारत का मुक्तिदाता के नाम से जाना जाता है
भारतीयो की स्वतंत्रता का जन्मदाता भी इसे कहा जाता है!
चंद्रगुप्त मौर्य के जीवन के बारे में ज्यादा जानकारी प्राप्त नहीं है इसे चाणक्य ने 1000 कापार्षण मुद्राओं में एक शिकारी से खरीदा था!
Note- हजार दिनारी मलिक कपूर को कहा जाता है जिसका संबंध अलाउद्दीन खिलजी से है!
चंद्रगुप्त मौर्य ने चाणक्य की मदद से तक्षशिला में शिक्षा ग्रहण की थी!
305 में चंद्रगुप्त ने यूनानी राजा सेल्यूकस को हराकर वैवाहिक संबंध स्थापित किए इसने इस की पुत्री हेलना से विवाह किया!
चंद्रगुप्त और हेलिना का विवाह पहला अंतरराष्ट्रीय विवाह है!
चंद्रगुप्त ने सेल्यूकस को500 हाथी उपहार के रूप में दिए तथा सेल्यूकस ने दहेज के रूप में चार प्रांत (एरिया(हेरात) अराकोशिया(कंधार) जेड्रोशिया(मकरान तट) पेरीपेनिषदाई(काबुल)) दिए थे!
चंद्रगुप्त के अन्य नाम-
1. सैण्ड्रोकोटस- स्टेबो एरियन और जस्टिन के अनुसार
2. एंडोकोटस- एपियिनस और प्लूटार्क के अनुसार
3. सैण्ड्रोटस- नियाकर्स के अनुसार
Note- 1793 मैं विलियम जोंस ने बताया कि यह तीनों नाम चंद्रगुप्त मौर्य के हैं!
चंद्रगुप्त मौर्य के प्रांत पाल पुष्यगुप्त ने सुदर्शन झील का निर्माण कठीयावाड (सौराष्ट्र) में कराया
जैन साहित्य के अनुसार चंद्रगुप्त मौर्य के शासन में 12 वर्षीय अकाल पड़ा जिस कारण यह श्रवणबेलगोला अपने गुरु भद्रबाहु के साथ चला गया और संलेखना विधि द्वारा प्राण त्याग दिए!
✴️ बिंदुसार-
इसका शासनकाल 289 से 273 ईसा पूर्व तक था!
इसके शासन को मौर्य काल का शांतकाल कहा जाता है
पतंजलि के अनुसार इसका नाम अमित्रघात व एथेनियस के अनुसार अमित्रोकेटीज इसका नाम था!
चीनी ग्रंथों में इसे बिंदुपाल कहां गया
जैन ग्रंथों में इसे सिंहसेन कहां गया!
बिंदुसार के 3 प्रधानमंत्री थे-
1. चाणक्य 2.खल्लाटक 3.राधागुप्त
बिंदुसार ने अपने पुत्र अशोक को तक्षशिला विद्रोह दबाने के लिए भेजा तथा अवंती (उज्जैन)का उपराजा (सूबेदार) बनाया!
यूनानी लेखक एथेनियस के अनुसार इसके संबंध सीरिया के राजा एन्टियोकोटस- प्रथम से बहुत अच्छे थे इससे इसने सूखे अंजीर अंगूरी मदिरा एक दार्शनिक रेट में मांगा था परंतु उसने दार्शनिक नहीं भेजा बाकी दोनों चीजें दी!
मिस्र के राजा टोलमी द्वितीय ने अपना राजदूत डाइनोसिस को इसके दरबार में भेजा!
✴️ अशोक-
इसकी माता का नाम सुभद्रांगी था
इसकी 4 रानी थी- असंगमित्रा पद्मावती कारूवाकी तिष्यारक्षिता थी!
कलिंग का युद्ध 261 ईसवी में हुआ अशोक ने अपने राजअभिषेक के 8 वर्ष कलिंग की राजधानी तो तोसली( उत्तरी कलिंग) पर अधिकार किया इसकी जानकारी हमें उसके 13 वें अभिलेख से प्राप्त होती है!
इस युद्ध के बाद एक बौद्ध भिक्षुक मोग्गलिपुत्र तिस्त के प्रभाव से इसने बौद्ध धर्म स्वीकार किया इसके प्रथम गुरु उपगुप्त थे
अशोक के शिलालेख-
प्रथम शिलालेख- पशु बलि की निंदा तथा सभी मनुष्य मेरी संतान है बताया गया
द्वितीय शिलालेख- लोककल्याणकारी कार्य का वर्णन
तृतीय शिलालेख- राज्य के अधिकारियों का हर पंचवर्ष में दौरे करने का आदेश
चौथा शिलालेख- धम्म का उद्घोष अर्थात बौद्ध धर्म का विचार का प्रसार करना
पांचवा शिलालेख- मौर्यकालीन समाज एवं वर्ण व्यवस्था और धम्म महामात्रो की नियुक्ति
छटा शिलालेख- आम जनता राजा से किसी समय भी मिल सकती है
सातवां शिलालेख- सभी संप्रदायों के लिए सहिष्णुता
आठवां शिलालेख- सम्राट के धर्म यात्राओं का उल्लेख
नौवां शिलालेख- धम्म समारोह की चर्चा
दसवां शिलालेख- धम्म नीति की श्रेष्ठता का वर्णन
11 शिलालेख- धम्मा नीति की व्याख्या
बारवा शिलालेख- सर्वधर्म समभाव
तेरह शिलालेख- कलिंग युद्ध की जानकारी
14 शिलालेख- जनता को धार्मिक जीवन बिताने के लिए प्रेरित करना
अशोक के शिलालेख से संबंधित प्रमुख तथ्य-
अशोक के दो शिलालेख शाहबाजगढ़ी और मानसेहरा(पाकिस्तान) जिनकी लिपि खरोष्ठी थी!
अशोक के रूम्मिदेई (नेपाल) अभिलेख जिससे मौर्य काल की आर्थिक स्थिति का पता चलता है यह अशोक सबसे छोटा अभिलेख है!
शेर ए कुना (गांधार) एकमात्र अभिलेख जो कि ग्रीक व आरमेईक भाषा में है!
प्रयाग प्रशस्ति इस अभिलेख को रानी का अभिलेख कहते हैं इसमें उसकी रानी कारूवाकी का वर्णन है!
लोरिया नंदन(चंपारण) स्तंभ लेख में मोर का चित्र मिला है!
रामपुरवा अभिलेख (चंपारण) से बैल की आकृति का प्रमाण मिला है!
अशोक ने आजीविको के रहने के लिए बराबर ककी पहाड़ियों में चार गुफाओ का निर्माण कराया है-लोमस ऋषि गुफा, सुदामा गुफा, विश्व झोपड़ी, कर्ण चोपर गुफा!
अशोक के उत्तराधिकारी कुणाल के समय जालोक ने कश्मीर में स्वतंत्र राज्य की स्थापना की!
मौर्य वंश में अशोक तथा राजा दशरथ ने बौद्ध धर्म को अपनाया था!
मौर्यकालीन प्रशासन-
मौर्य सम्राट चार प्रांतों में विभाजित था-
1- उत्तरा पथ जिसकी राजधानी तक्षशिला थी!
2- दक्षिणा पथ जिसकी राजधानी सुवर्ण गिरी थी
3- अवंती जिसकी राजधानी उज्जैनी थी!
4- मध्य प्रदेश (प्राची) जिसकी राजधानी पाटलिपुत्र थी!
मौर्य प्रशासन के व्यवस्था-
केंद्र के अधिकारी को सम्राट कहते थे!
प्रांत के अधिकारी को कुमार या आर्यपुत्र कहते थे
मंडल के अधिकारी को प्रदेष्टा कहते थे
अहार या विषय के अधिकारी को स्थानिक या विषयपति कहते हैं
स्थानीय 800 गांव का समूह कहलाता था
द्रोणमुख 400 गांव का समूह कहलाता था
खार्वटिक 200 गांव का समूह कहलाता था
संग्रहक 10 गांव का समूह आता था
ग्राम प्रशासन की सबसे छोटी इकाई होती थी जिसका अध्यक्ष ग्रामणी खिलाता था!
मौर्य काल की कृषि व्यवस्था-
राजकीय भूमि का प्रधान सीता अध्यक्ष कहलाता था!
भूमिका उपज का 1/6 भाग होता था
रातकीय भूमि से होने वाली आय को सीता कहा जाता था
आयकर को प्रवेश्य कहा जाता था!
निर्यात कर को निष्क्राम्य कहते थे!
प्रवण आपातकालीन कर था!
बली राजस्व कर था
हीरण्य नगद कर था!
सारनाथ स्तंभ लेख-
यहां से भारत का राज्य चिन्ह लिया गया है!
इसमें चार शेर घोड़ा बैल हाथी के चित्र हैं!
इसमें 24 तिल्लीयो का एक चक्र है
सारनाथ स्तंभ लेख के सबसे ऊपर धर्म चक्र है जिसमें 32 तिलिया हैं यह खंडित है!
Note- सांची मे भी चार बैल की आकृतियां हैं!
मौर्य काल के अधिकारी-
प्रथम श्रेणी का अधिकारी तीर्थ कहलाता था
द्वितीय श्रेणी का अधिकारी अध्यक्ष कहलाता था!
Note- चाणक्य की अर्थशास्त्र में 12 तीर्थ और 27 अध्यक्ष का वर्णन है!
प्रमुख तीर्थ-
समाहर्ता- राजस्व निर्धारण करने वाला
पौर- नगर का प्रधान
अंत:पाल- सीमावर्ती क्षेत्रों का प्रधान
कर्मान्तिक- कारखानों का प्रधान
सन्निधाता- कोषाध्यक्ष
द्वितीय श्रेणी के अध्यक्ष-
सीता अध्यक्ष- राज्यकीय भूमि का अध्यक्ष
पोतवाध्यक्ष- माप तोल विभाग का अध्यक्ष
बंदगाध्यक्ष- जेल विभाग का अध्यक्ष
पतनाध्यक्ष- बंदरगाह का अध्यक्ष
मौर्य काल से संबंधित अन्य तथ्य-
परिहारिक- कर मुक्त गांव को
वर्तनी- सड़क कर
समितकारक श्रेणी- आटा बेचने वाले
श्रेणी का प्रधान श्रेष्ठी कहलाता था!
Note-श्रेणी- एक ही प्रकार के व्यवसाय करने वाले लोगों का समूह
सबसे लंबा व्यापारिक मार्ग उत्तरपथ था जिसकी लंबाई 21 किलोमीटर थी यह बंगाल से गांधार तक था!
घूमने वाले व्यापारियों का समूह सार्थवाह कहलाता था!
मौर्य काल में गुप्तचर को गुढ पुरुष कहा जाता था!
स्मरण बिंदु- जस्टिन ने चंद्रगुप्त की सेना को डाकू का गिरोह कहा है!
मौर्यकालीन राजकीय मुद्रा-
पण- यह 3/4 तोले के बराबर चांदी का सिक्का था!
चांदी के सिक्के- पण, कापार्षक,धारक
सोने के सिक्के- सुवर्ण, निष्क,
ताबे के सिक्के- माष्क और काकणि
मौर्य वंश का अंतिम राजा ब्रहदथ था जिसे पुष्यमित्र शुंग ने मारा और शुंग वंश की नीव रखी!
No comments:
Post a Comment