Saturday, March 19, 2022

वैदिक सभ्यता( भारतीय से भाग 4)

                    🌟 वैदिक सभ्यता 🌟
इस सभ्यता का समय काल 1500 ईसा पूर्व से 600 ईसा पूर्व तथा इसे दो भागों में बांटा जाता है! 
1- ऋग्वैदिक काल(1500-1000 ईसा पूर्व) 
2- उत्तर वैदिक काल(1000-600 ईसा पूर्व) 
Note- वैदिक सभ्यता की स्थापना का श्रेय आर्यो को जाता है  इस शब्द का अर्थ श्रेष्ठ उत्तम अभिजात कुलीन होता है! 
✴️1853 मैक्समूलर ने आर्य जाति को श्रेष्ठ जाति कहकर संबोधित किया उसने कहा कि यह मध्य एशिया से भारत आए थे! 
✴️ एक समान भाषा बोलने वालों को भी आर्य कहा जाता है तथा  इंडो-यूरोपियन भाषा बोलने वाले समूह को भी आर्य कहते हैं! 
🟠 मूल स्थान से संबंधित मत-
1- मध्य एशिया या बैक्टीरिया से संबंधित मत-जर्मन विद्वान मैक्स मूलर ने देखा कि इरानी ग्रंथ जेन्द अवेस्ता से इस सभ्यता की कई बातें मिलती है! अतः आर्य  मुल रूप से मध्य एशिया के निवासी थे यहां एक प्रमाणित मत है! 
2- उत्तर ध्रुव से संबंधित मत- बाल गंगाधर तिलक ने अपनी पुस्तक द ऑर्थोटिक होम आफ आर्यन मे आर्यों को उत्तरी ध्रुव का मूल निवासी माना है! 
3- तिब्बत संबंधित मत- दयानंद सरस्वती ने अपनी पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश में इन्हें तिब्बत से संबंधित बताएं! 
4- सप्तसैंधव क्षेत्र- अविनाश चंद ने आर्यो को सप्तसिंधु क्षेत्र का बताया है! 
🟠आर्यो के जानकारी के साधन-
1- बोगजकोई अभिलेख- यह विश्व का सबसे प्राचीन अभिलेख है जो ईरान से प्राप्त हुआ इसे एशिया माइनर अभिलेख भी कहते हैं इसमें ऋग्वेद के देवता इंद्र वरुण मित्र नासत्य का वर्णन मिलता है! 
Note- भारत में सबसे प्राचीन अभिलेख अशोक के अभिलेख है! 
2- वेद-  वे शब्द विद धातु से बना है जिसका अर्थ होता है जानना या ज्ञान प्राप्त करना था इसके संकलनकर्ता महर्षि वेदव्यास जी थे इसकी उपनाम श्रुति ग्रंथ साहित्य ग्रंथ और अपौरुषेय ग्रंथ है! 
Note- श्रुति ग्रंथ- सुनकर एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक जान पहुंचाएं अर्थात गुरु शिष्य परंपरा
अपौरुषेय ग्रंथ- देवताओं द्वारा रचित ग्रंथ
महत्वपूर्ण- ऋग्वेद यजुर्वेद सामवेद को वेदत्रेयी कहा जाता है! 
वेदों के प्रकार- वे चार प्रकार के होते हैं! 
1- ऋग्वेद- 
सबसे प्राचीन वेद है! 
इसको पढ़ने वाले को होर्त या होता कहा जाता है! इसका उपवेद आयुर्वेद है!जिसके रचनाकार प्रजापति है! 
इसमें 10 मंडल 1028 सूक्त और 10462 मंत्र है! 
इसके ब्राह्मण ग्रंथ ऐतरैय व कोषीतकी  है!
इसमें पहला आठवां नौवां और दसवां मंडल बाद में जोड़ा गया! 
इसमें सबसे पवित्र नदी सरस्वती है! 
चौथे मंडल में कृषि का वर्णन है! 
तीसरे मंडल में गायत्री मंत्र है! 
दसवीं मंडल में चतुर्वर्ण व्यवस्था का उल्लेख है! 
इसमें नवे मंडल में सोम देवता का वर्णन है! 
इसमें साथ में मंडल में दसराज युद्ध का वर्णन है! 
असतो मा सद्गमय वाक्य भी इसी वेद से लिया गया

2- सामवेद-
भारत में संगीत का जनक किसी वेद को कहा जाता है! 
इसको पढ़ने वाले को उद्रगाता  कहा जाता है! 
इसका उपयोग गंधर्व वेद है जिसकी रचना महर्षि नारद ने की है! 
इसका ब्राह्मण ग्रंथ पंचवीस है जिसके रचनाकार जैमिनी है! 
इसमें मूल मंत्र 75 है! 
3- यजुर्वेद-
यजु का अर्थ होता है- यज्ञ से
इसमें गद्य तथा पद्य दोनों है अर्थात यह चम्पू शैली का वेद है! 
इसको पढ़ने वाले को अध्वर्यु कहा जाता है! 
किस वेद में हाथी पालन का वर्णन भी मिलता है! 
यह दो प्रकार का होता है-
1- कृष्ण यजुर्वेद- इसमें  गद्य तथा पद्य दोनों है! 
2- शुक्ल यजुर्वेद- इसमें केवल पद होते हैं इसे वाजसनेयी  संहिता भी कहते है! 
4- अथर्ववेद-
यह वेद अथर्व ऋषि द्वारा रचित है! 
इस वेद में औषधियों वशीकरण जादू टोना आदि का वर्णन है
इसका उपवेद शिल्प वेद है जिस के रचनाकार विश्वामित्र है! 
इसका ब्राह्मण ग्रंथ गोपथ है! 
इसमें  काशी का वर्णन तथा मगध महामारी फैलने का वर्णन  भी किया गया! 
🟠 पुराण- पुराणों की संख्या 18 इनके संकलनकर्ता लोमहर्ष तथा उसके पुत्र उग्रश्रवा है सबसे प्राचीन तथा प्रमाणित पुराण मत्स्य पुराण है
🟠 आरण्यक ग्रंथ- 
वनों में रचे गए यह ग्रंथ है जो वानप्रस्थ आश्रम के ऋषि द्वारा लिखे जाते हैं! 
इनका उद्देश्य है ईश्वर की उपासना में बोल देना! 
इनकी संख्या 7 है- ऐतरेय तैत्तिरीय माध्यन्दिन शंखायन  मैत्रायणी मलवकार वृहदारण्यक ! 
🟠 उपनिषद-
गुरु के समीप निष्ठा पूर्वक बैठना उपनिषद का अर्थ होता है! 
यह दार्शनिक विचारधारा के ग्रंथ है! 
इनकी संख्या 108 है इसमें 11 वह13 प्रमुख है! 
दारा शिकोह ने उपनिषदों का फारसी अनुवाद किया था! 
शंकराचार्य ने उपनिषदों में भारतीय की रचना की जिसे वेदांत दर्शन कहा जाता है! इनकी संख्या 6 है शिक्षा ज्योतिष कल्प व्याकरण निरुक्त छंद! 
सत्यमेव जयते मुंडकोपनिषद से लिया गया! 
        ऋग्वेदिक सभ्यता(1500-1000 ईसा पूर्व) 
🟠भौगोलिक विस्तार- यह सप्त सैंधव क्षेत्र में फैली था! अर्थात  7 नदियों से घिरा क्षेत्र यह नदियां सिंधु सरस्वती सतलाज व्यास रावी झेलम चिनाब थी! 
🟠 राजनीतिक जीवन- आर्यो  को पंच जन कहते थे क्योंकि इनके 5 कबीले होते थे- पुरू अनु द्रुहू  तुर्वस यदु थे! 
महत्वपूर्ण प्रशासनिक शब्द-
राजन या गोप- राष्ट्री का मालिक
पुरोहित- जन का मालिक
विशापति- विश का मालिक
ग्रामीणी- गांव या ग्राम का मालिक
कुलुप- कुल का मालिक
Note- ऋग्वैदिक काल में कुल सबसे छोटी इकाई थी
सभा और समिति दोनों ऋग्वैदिक काल की जनतांत्रिक संस्थाएं मानी जाती है! 
महत्वपूर्ण-
विदथ सबसे प्राचीन संस्था थी, इसका ऋग्वेद में 122 बार उल्लेख हुआ है जबकि समिति का 9 बार और सभा का 8 बार उल्लेख हुआ है। सभा वृद्ध जनों एवं कुलीन लोगों की संस्था थी। समिति कबीले की आम सभा होती थी।  जिसका राजा पर पूर्ण नियंत्रण होता था स्त्रियां सभा और समिति में भाग लेती थी !विदथ के संगठन और कार्यों के बारे में स्पष्ट उल्लेख नहीं है।
बली एक प्रकार का कर था जो जनता स्वेच्छा से राजा को देती थी! 
ऋग्वेद के सातव मंडल में दसराज युद्ध का वर्णन किया गया है जो परुष्णी अर्थात रावी नदी के तट पर भरत जन तथा 10 अन्य जनों के बीच हुआ था इसमें भरत जन के प्रमुख सूदास की विजय हुई! 
🟠 आर्थिक स्थिति- 
यह सभ्यता एक कृषि प्रधान ग्रामीण अर्थव्यवस्था वाली सभ्यता थी जिसका प्रमुख व्यवसाय पशुपालन था! 
गाय को अघग्या कहा जाता था! और सबसे उपयोगी पशु घोड़ा था! 
इस काल में लोहे का प्रचलन नहीं था और सर्वप्रथम ताबे का प्रयोग किया था! 
✴️ आर्थिक स्थिति से जुड़ी शब्दावली-
त्वष्ठा या तक्षण- बढ़ई
कमरि- धातुकार
यव- जौ
उर्दर- अनाज मापने वाला एक पात्र
हिरण्य- सोना
अयस- तांबा
🟠 सामाजिक स्थिति-
ऋग्वेद के दसवें मंडल में पुरुष सूक्त चार वर्णों की उत्पत्ति का उल्लेख है परंतु यह अस्तित्व में उत्तर वैदिक काल में आए! 
ऋग्वैदिक काल पितृसत्तात्मक था परंतु स्त्रियों की स्थिति काफी अच्छी थी! परिवार के मुखिया को कुलक(पिता) कहा जाता था
इस समय बाल विवाह सती प्रथा दहेज प्रथा पर्दा प्रथा का प्रचलन नहीं था! 
सोम रस प्रमुख पेय पदार्थ था! 
समाज में विधवा विवाह  दास प्रथा नियोग प्रथा का प्रचलन था! 
Note- जब किसी स्त्री के बच्चे नहीं होते या उसके पति की अकाल मृत्यु हो जाती है तो वह अपने देवर या संबंधी द्वारा गर्भ धारण करती है इसे ही नियोग प्रथा कहते हैं! 
इस काल की प्रमुख स्त्रियां लोपमुद्रा घोषा अपाला  विश्ववरा थी! 
 Note- जीवन भर अविवाहित स्त्री को अमाजु कहा जाता था! 

🟠 धार्मिक स्थिति-
आर्यों ने प्राकृतिक शक्तियों का दैव्यकरण किया! 
यासक ने देवताओं को तीन भागों में बांटा-
1- आकाशवासी देवता-
धौ/धौस- सबसे प्राचीन देवता इन्हें सर्जन का देवता कहा जाता था 
इनकी तुलना यूनानी देवता ज्यूस के सामान की जाती है! 
सूर्य- उगता हुआ सूरज इन्हें तेज का देवता कहा जाता है! 
वरुण- इसे ऋत का संरक्षक या ऋतस्यगोप को कहा जाता है इनका ऋग्वेद में सातवें मंडल मे 30 बार उल्लेख है इन्हें देवताओं का देवता कहा जाता है! समुद्र का देवता, विश्व के नियामक और शासक सत्य का प्रतीक, आकाश, पृथ्वी एवं सूर्य का निर्माता के रूप में जाना जाता है। 
Note- ऋतस्यगोप का मतलब होता है ऋतु परिवर्तन एवं दिन रात का कर्ताधर्ता! 
उषा- इन्हें उत्थान की देवी या प्रगति की देवी कहा जाता है! 
सविता(सावीत्री)- इन्हें अमृत की देवी कहा जाता है ऋग्वेद का तीसरा मंडल में वर्णित गायत्री मंत्र इन्हीं को समर्पित है! 
षूषन- पशुओं के देवता थे जो उत्तर वैदिक काल में शूद्रों के प्रमुख देवता बन गए! 
अश्वनी- चिकित्सा के देवता
विष्णु- विश्व का संरक्षक

2.अंतरिक्ष के देवता-
इंद्र- इन्हें युद्ध का देवता कहा जाता था यह आर्यों के प्रमुख देवता थे जिनके लिए ऋग्वेद में 250 सूक्त है! 
मरुत- इन्हें तूफान का देवता कहा जाता है! 
पर्जन्य (बादल)- इन्हें वर्षा का देवता कहा जाता है! 

3. पृथ्वी के देवता-
पृथ्वी- सर्जन की देवी
अग्नि- इन्हें अतिथि देवता या आर्यों का पुरोहित कहा जाता है इनके लिए ऋग्वेद में 200 श्लोक है! 
सोम- इन्हें वनस्पति का देवता कहते हैं इनका वर्णन ऋग्वेद के नवे मंडल में है इनके लिए 120 श्लोक है!
बृहस्पति- यज्ञ के देवता

      उत्तर वैदिक काल (1000-600 ईसा पूर्व) 

✴️ इस काल को ब्राह्मण धर्म काल भी कहते हैं! 
✴️ लोहे की खोज होने के कारण इसे लोगों प्रौद्योगिकी युग भी कहा जाता है! 
✴️ इस काल में सर्वप्रथम चित्रित मृदभांड मिले हैं! 
✴️ इस काल का केंद्र गंगा यमुना का दोआक था जो कुरुक्षेत्र तक था! 

राजनीतिक स्थिति-
इस काल में राजा के दैवीय उत्पत्ति का सिद्धांत अस्तित्व में आया जिसका पहला वर्णन ऐतरेय ब्राह्मण में मिलता है! 
राजा का  वंशानुगत  हो गया था जिसे सम्राट या एकराट कहा जाता था! 
बली एक अनिवार्य कर हो गया था जो ऊपर का 1/16वा भाग  हो गया था! 
Important- प्राचीन धर्म ग्रंथों के अनुसार कर की दर 1/6 भाग थीl
विजयनगर राजवंश प्राचीन धर्म ग्रंथों मे वर्णित  कर की दर पर आधारित कर वसूल करता था! 

🟠प्रमुख अधिकारी-
रत्नी- राज्य के उच्च अधिकारी को रत्नी कहते हैं जिसका वर्णन  शतपथ ब्राह्मण में 12 बार आया है! 
सूत- सारथी
भागदूध- कर संघकर्ता
महिषी- प्रमुख रानी
पालागत- विद्वान
श्रमण- वेद विरोधी अध्यापक

🟠आर्थिक स्थिति-
इस काल का मुख्य व्यवसाय कृषि था! 
अतरंजीखेड़ा (यूपी) से कृषि के लोहे के यंत्र मिले हैं जो लोहे का प्रथम प्रमाण है! 
इस काल में मुद्रा का प्रचलन हो गया था निष्क जो ऋग्वैदिक काल में स्वर्ण आभूषण था! यह उत्तर वैदिक काल मैं प्रमुख मुद्रा बन गई थी! 
इस काल में उर्फ(उन) और शज(सन) का उल्लेख मिलता है! 
🟠 धार्मिक स्थिति-
इस काल में कर्मकांड ओं का उदय हुआ! 
सर्वप्रथम शतपथ ब्राह्मण ग्रंथ में पुर्वजन्म व मृत्यु का उल्लेख है जबकि मोक्ष का वर्णन उपनिषदों  मे मिलता है! 
इस काल के प्रमुख देवता-
प्रजापति- सर्वोच्च देवता तथा सर्जन के देवता
रुद्र- पशु का देवता
विष्णु- विश्व का संरक्षक
पूषक- यह शूद्रों के देवता थे! 

🟠 सामाजिक स्थिति-
चार वर्णो का उदय हुआ- ब्राह्मण क्षेत्रीय शूद्र वैश्य
इस काल में स्त्रियों की स्थिति मैं गिरावट आई इस काल की प्रमुख स्त्रियां- गार्गी गंधर्व गृहिता मैत्रीय वेदवती थी! 
जाबालोपनिषद में चार आश्रमों का उल्लेख है! 
✴️इस काल में त्रिऋण का उल्लेख है-
1.पितृ ऋण- संतान उत्पन्न करने से
2. ऋषि ऋण- वेदों के अध्ययन से
3. देव ऋण- यज्ञ करने से

🟠 विवाह के 8 प्रकार-
1- ब्रह्मा विवाह- योग्य वर के साथ विवाह
2- देव विवाह- पुरोहित के साथ विवाह
3- आर्ष विवाह- दो गायों के बराबर धन देकर किया जाने वाला विवाह! 
4- प्रजापत्य विवाह- पिता द्वारा कन्या का हाथ माग कर के किया गया विवाह
Note- ब्रह्मा विवाह देव विवाह आर्ष विवाह प्रजापत्य विवाह इन विवाह को प्रसन्न विवाह कहते है! 
5- असुर विवाह- धन के बदले किया जाने वाला विवाह
6- गंधर्व विवाह- प्रेम विवाह
7- पैचास विवाह- बलात्कार करके किया जाने वाला विवाह
8- राक्षस विवाह- बलपूर्वक किया जाने वाला विवाह

🟠 प्रमुख यज्ञ-
अश्वमेघ यज्ञ- राजा द्वारा साम्राज्य विस्तार के लिए घोड़ा छोड़ दिया जाता है! 
Note- अंतिम अश्वमेघ यज्ञ सवाई जयसिंह ने कराया था! 
राजसुय यज्ञ- राज अभिषेक के दौरान किया गया यज्ञ! 
वाजपेई यज्ञ- शक्ति प्रदर्शन के लिए रथ दौड
अग्निष्टोम यज्ञ- पापों से मुक्त से संबंधित यज्ञ
सौत्रामंणि यज्ञ- पशु बलि
पुरुषमेध यज्ञ- राजनीतिक वर्चस्व के लिए विद्वान पुरुष की बलि दी जाती थी! 

🟠षड्दर्शन- 
1. लोकायत दर्शन- इसके लेखक चार्वाक है! 
2. योग दर्शन- पतंजलि
3. साख्य दर्शन- कपिल
4. न्याय दर्शन- गौतम
5. उत्तर मीमांसा- बादरायण
6. पूर्व मीमांसा- जैमिनी



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