ऐसा काल जिसमें लिखित साक्ष्य तो मिला है परंतु उसे आज तक पढ़ा नहीं गया!
इस काल में मृदभांडो का प्रथम प्रयोग हुआ!
इस काल में धातु का प्रयोग आरंभ हो गया था सबसे पहले प्रयोग लाई धातु ताबाँ थी!
सिंधु सभ्यता और वैदिक सभ्यता इस काल के अंतर्गत आती है!
ताम्र पाषाण युग-
यह का 3000 ईसा पूर्व का था!
यह कृषि प्रधान ग्रामीण सभ्यता थी!
इस काल की प्रमुख संस्कृति-
✴️बनास या आयड संस्कृति-
यह संस्कृति राजस्थान में है!
इसका समय का 2100 ईसा पूर्व से 1500 ईसा पूर्व का था!
इस संस्कृति को ताम्र सभ्यताओं का पालनहार कहते हैं!
इस सभ्यता को ताम्बवती सभ्यता भी कहते हैं क्योंकि यहां से सबसे अधिक मात्रा में तांबा प्राप्त हुआ है!
इस संस्कृति के प्रमुख स्थल- आहत, बालाथल, गिलुड
इस सभ्यता से ताबे की कुल्हाड़ी तांबे की चूड़ियां तांबे की चादर मिली है!
इस संस्कृति का प्रमुख केंद्र गिलुड था!
✴️कायथ संस्कृति-
यहां से स्टेराइट व कार्नेलीयन उत्तम किस्म के पत्थरो के साक्ष्य मिले!
इस संस्कृति के प्रमुख केंद्र कायथ व एरण था!
प्राकहडप्पा और हडप्पोत्तर सभ्यता भी कहते है इसका विस्तार मध्यप्रदेश में हुआ था!
सबसे अधिक मृदभांड यहीं से प्राप्त हुऐ है!
✴️जौर्वे संस्कृति-
यह संस्कृति महाराष्ट्र में फैली थी!
इस स्थान के प्रमुख स्थल थे- जौर्वे, इनामगाव, नैवामा, दैमाबाद
✴️इनामगांव-
ताम्र पाषाण काल की सबसे बड़ी बस्ती थी!
यह गांव किले व रवांई से घिरी थी!
✴️दैमाबाद-
भारी मात्रा में कांसे के बर्तन मिले हैं जो इसे हड़प्पा सभ्यता मैं जोड़ते हैं और यहां से हाथी गैडे भैसे के प्रमाण मिले हैं जो इसे ताम्र संस्कृति से जोड़ते हैं!
No comments:
Post a Comment