Monday, April 4, 2022

वाकाटक वंश व कदंब वंश वातापी के चालुक्य( भाग 16)

                   ✴️वाकाटक वंश✴️
इनका उदय उत्तर महाराष्ट्र और विदर्भ में सातवाहन  वंश के स्थान में हुई! 
इस वंश का संस्थापक  विंध्यशक्ति ने की थी ! 
रूद्रसेन द्वितीय का विवाह चंद्रगुप्त द्वितीय की पुत्री  प्रभावती से हुआ था 
रुद्रसेन द्वितीय  इस वंश का एक महान शासक था जिसकी मदद से चंद्रगुप्त द्वितीय ने शको पर विजय अर्जित की थी! 

                  ✴️कदंब वंश✴️
इस  वंश का साम्राज्य  उत्तरी कर्नाटक और कोंकण में था!  इस वंश की राजधानी वैजयंती या वनवासी थी! 
इस वंश का संस्थापक मयूरशर्मन था  इसने 18 अश्वमेघ यज्ञ किये थे और ब्राह्मणों को कई गांव दान दिए थे! 


           ✴️ वातापी (बदामी) के चालुक्य✴️
इस वर्ष की राजधानी वातापी आधुनिक बादामी थी जो वर्तमान के बीजापुर (कर्नाटक) में आता है! 
इस वंश का सबसे प्रतापी शासक पुलकेशिन द्वितीय था! उसके पिता का नाम कीर्तिवर्मन प्रथम था! 
पुलकेशिन द्वितीय की जानकारी हमें ऐहोल अभिलेख से मिलती है जिसकी रचना रवि कीर्ति ने की थी इससे पता चलता है कि नर्मदा नदी के तट पर हर्षवर्धन को इसने पराजित किया था! 
हर्षित को पराजित करने के बाद इतने परमेश्वर की उपाधि धारण की थी तथा इसकी एक उपाधि दक्षिणा पथेश्वर भी थी! 
 पल्लव राजा नरसिंह वर्मन द्वितीय ने पुलकेशिन द्वितीय को पराजित किया था और मार डाला! 
इस वंश में महिलाओं को प्रशासन का उच्च पद प्रदान था! 

                  ✴️वेगीं के चालुक्य✴️
इस वंश का जन्म पुलकेशिन द्वितीय के समय ही हो गया था यह चालुक्य वंश की एक शाखा थी! 
इन्हें पूर्वी चालुक्य वंश से भी कहा जाता है इसकी स्थापना विष्णुवर्धन ने की थी! 

 
                   ✴️पल्लव वंश✴️
पल्लव वंश का उदय दक्षिण आंध्र और उत्तर तमिल दोनों पर था इनके आरंभिक अभिलेख प्राकृत और फिर संस्कृत में जारी की  किये! 
इस वंश के प्रमुख शासक-
1.सिंहविष्णु-
यह इस वंश का वास्तविक संस्थापक था! 
इसकी राजधानी  कांची थी जो सांस्कृतिक केंद्र था! 
यह वैष्णो धर्म का अनुयाई था! 
इसके दरबार में भारवि थे जिन्होंने किरातार्जुनीयम पुस्तक लिखी थी! 

2. महेंद्र वर्मन प्रथम-
इसीके समय पल्लव और चालुक्य  के बीच संघर्ष आरंभ हुआ! 
इसने मत्तविलासप्रहसन नामक ग्रंथ लिखा! 
3. नरसिंह वर्मन प्रथम-
इसने महाबलीपुरम के रथ मंदिर का निर्माण कराया था जिसे सप्त पैगोडा भी कहते हैं! 
इसने पुलकेशिन द्वितीय को पराजित करा और वातापीकोंड की उपाधि धारण की थी! 
इसने महामल्ल की उपाधि धारण की थी! 
इसके समय कांची  मे ह्वेनसांग भी आया था! 
4.नरसिंह वर्मन द्वितीय-
कांची के कैलाश मंदिर तथा महाबलिपुरम के तटीय मंदिर का निर्माण कराया था! 
इसने राजसिंह की उपाधि धारण की थी! 
संस्कृत के महान विद्वान दंडीन इसी के दरबार में थे! 
5.नरसिंह वर्मन द्वितीय-
रांची के मुक्तेश्वर मंदिर तथा बैकुंठ पेरूमाल मंदिर का निर्माण कराया था! 
इसी के समकालीन वैष्णव संत तिरूमंगई अलवार थे! 


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