158- बिखौती में बाड़े पकाए जाते हैं और ताला डालने की प्रथा भी प्रचलित है!
159- हरेला करके संक्रांति के दिन मनाया जाता है इसमें 7 या 5 प्रकार के अनाज बोये जाते जिन्हें 9-10 दिन में काटा जाता है!
160- श्रावण पूर्णिमासी इसे रक्षाबंधन या जन्योपुन्यो कहा जाता है इसी दिन देवीधुरा का मेला लगता है!
161- धृत संक्रानती या घ्यु त्यार इस त्यौहार को ओलगिया भी कहते हैं!
162. खतडवा यह त्यौहार कन्या संक्रांति के दिन मनाया जाता है!
163. नंदा अष्टमी उत्सव यह उत्सव भाद्र माह की शुक्ल षष्टी को मनाया जाता है! नंदा देवी का डोला हेमकुंड के चबूतरे में रखा जाता है!
164. मकर संक्रांति इस त्यौहार को घुघूतीया त्यौहार के नाम से जाना जाता है!
165. तप्त कुंड सूर्य कुंड सप्त ऋषि कुंड ब्रह्म कुंड यमुनोत्री में हैं!
166. गौरीकुंड रुद्रप्रयाग भाग कुंड चमोली तप्त कुंड और नारद कुंड बदरीनाथ सती कुंड हरिद्वार सूर्य कुंड विष्णु कुंड और ब्रह्मा कुंड गंगोत्री में है!
167. गरुण शीला मारकंडे शीला नर शीला नारद जिला वराह शीला चरण पादुका सिला बद्रीनाथ में है!
168. भगीरथ शीला भृगु शिला गंगोत्री में है!
169. उत्तराखंड में 81000 हेक्टेयर भूमि उत्पादन के लिए कार्य में ली जाती है!
170. दुन क्षेत्र का बासमती चावल विश्व में काफी प्रसिद्ध है!
171. कोटली भेल परियोजना गंगा नदी पर टिहरी गढ़वाल में है!
172. भिलंगना परियोजना भागीरथी नदी पर टिहरी जनपद में है!
172. चीला परियोजना गंगा नदी पर पौड़ी जनपद में स्थित है!
173. उत्यासू परियोजना अलकनंदा पर पौडी जनपद में है!
174. कुमाऊं आयरन वर्कर कंपनी लिमिटेड
की स्थापना 1862 मे हूई!
175. 1834 में चाय के बागान विकसित हेतु चाय काफी चीन से मगाया गया!
176. उत्तराखंड में उत्पादित होने वाली चाय का ब्रांड कैच उत्तराखंड रखा गया है उत्तराखंड में सर्वाधिक चाय कौसानी घोडाखाल नौटी में होती है!
177. चाय उत्पादन को प्रोत्साहन देने हेतु भारतीय चाय बोर्ड का मुख्यालय अल्मोड़ा में खोला जाने की योजना है सरकार द्वारा बनाई गई है!
178. उत्तराखंड की 63% भूभाग वनों से घिरा हुआ है!
179. राज्य में 10 हर्बल गार्डन स्थापित किए गए हैं साथ ही हरिद्वार टनकपुर रामनगर में जड़ी-बूटी मंडी स्थापित की गई है!
180. भांग की छाल से बने कपड़ों को भंगेला या त्युखा कहां जाता है!
181. उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण हरिद्वार उधमसिंह नगर में कार्यरत नहीं है सबसे ज्यादा घराट चमोली जनपद में स्थापित है!
182. वास्तु शिरोमणि की रचना श्याम शाह के दरबारी साहित्यकार शंकर ने 1619 में संस्कृत भाषा में की थी!
183. मौला राम के वंशज सुनार थे! उत्तराखंड शैली की चित्रकला का उत्पन्न 1658 में हुई जिन्हें प्रकाश में लाने का श्रेय बैरिस्टर मुकुंदी लाल को जाता है!
184. मोलाराम ने गढ़राज वंशकाव्य, गढ़ गीता संग्राम मन्मथ सागर की रचना की थी यह गौरखनाथ पंथ का अनुयायी था बाद में इतने मन्मथ समुदाय का अनुयाय बना! मौला राम के अन्य चित्र मोर प्रिया नायिका एवं चकोर राजा ललित शाह एवं मोलइराम राधाकृष्ण नृसिंह मयूर मुखी जयदेव वजीर दंपति प्रमुख चित्र थे!
185. चैतु व माण्डकु मौला राम के शिष्य थे! Imp-उत्तराखंड शैली के चित्रों में कांडा शैली के समान लघु चित्र है!
186. बरेली के सूबेदार मिर्जा मेहंदी अली बेग को हर्ष देव जोशी ने कुमाऊ की स्थिति बताएं और अमर सिंह थापा जगजीत पांडे शूरवीर थापा, हस्तीदल चौतरिया बहादुरशाह के साथ मिलकर 1790 में कुमाऊं नरेश महेंद्र चंद( कुमाऊँ का अंतिम चंद राजा) पर आक्रमण किया! इस समय नेपाल का राजा रण बहादुर शाह था!
187. नेपाल नरेश नरभुपाल के पुत्र पृथ्वी नारायण(1743-75)ने नेपाल का एकीकरण किया! जिस कारण से नेपाल का बिस्मार्क कहते हैं!
188. 1804 में गोरखाओ ने गढ़वाल नरेश प्रघुम्न शाह को हराकर गढ़वाल में गोरखा शासन की नींव रखी! यह युद्ध यमुना तट पर खुडबुडा मैदान में हुआ जिसमें प्रघुम्न सा मारा गया!
189. 30 नवम्बर 1814 में अंग्रेजों ने देहरादून पर अधिकार किया!
190. 27 अप्रैल 1815 को कुमाऊं कमिश्नर गार्डनर और गोरखा सेनापति बम शाह के बीच समझौता हुआ और नवंबर 1815 संगोली संधि हुई जिसमें अमर सिंह थापा ने हस्ताक्षर किए!
जिसको मंजूरी 1816 में दी!
191. कप्तान हेरसी ने हर्ष देव जोशी को कुमाऊ का अर्लवारविक और विशाल व्यक्तित्व वाला व्यक्ति कहा है!
192. गोरखा काल में स्थाई सेना दो प्रकार की होती थी सैनिक जगरिया और ढाकरिया!
193. गोरखा प्रशासन सैनिक प्रशासन था जिसमें मामलों की सुनवाई बिचारी नामक अधिकारी करता था और जिन मामलो के साक्ष्य से नहीं होते थे उनमें न्याय दिव्य प्रणाली के आधार पर होता था!
194. गोरखा काल में राजद्रोह तथा गौ हत्या मृत्युदंड तथा चोरी में अंग काट दिए जाते थे किसी के प्रति व्यभिचार विचार रखने पर उसे अर्थदंड दिया जाता था निम्न वर्ग द्वारा उच्च वर्ग की हुक्का पीने में भी मृत्युदंड का प्रावधान था!
195. गोरखा काल में भूमि कर प्रमुख कर था जो इसे नहीं देता था उसे दास बना कर हरिद्वार में भेज दिया जाता था! इन्हें ₹10 से ₹150 में बेचा जाता था!
196. मौकर(गृहकर) बुनाई कर या ताना कर घी कर सलामी या नजराना कर जिसे उच्च अधिकारियों को उपहार स्वरूप दिया जाता था!
197. सौन्या फागुन कर गोरखा करता जो त्योहारों या उत्सव पर लगता था!
198. मांगा कर व्यस्क व्यक्ति पर लगता था!और कुशही कर कृषक ब्राह्मण पर लगता था!
199. पंडित हरीकृष्ण रतूड़ी ने गोरखा शासन के लिए कहा- संसार में कितने ही बड़ी शक्ति क्यों ना हो पर जब वह न्याय और नियम से खाली हो और अत्याचार की बुनियाद पर खड़ी हो वह कदापि अधिक समय तक स्थिर नहीं रह सकती थी
200. गोरखा काल में औरतों को छत पर जाना मना था और इस समय कर स्वेच्छा से वसूल किया जाता था!
201. जहांगीरनामा शाहजहांनामा तारीख ए बदायूनी मआसिर उल उमरा नामक ग्रंथों से परमार वंश की जानकारी मिलती है!
202. एटकिंसन साहब ने पवार वंश की वंशावली अल्मोड़ा से खोजी है!
203. जगतपाल का शिलालेख 1455 ई.का था!
204. मानोदयकाव्य के अनुसार अजय पाल का पुत्र सहजपाल था जिसे शत्रुओं का नाशक, विद्वानों का आंसर दाता प्रजा का हितेषी और दानवीर कहा है!
205. सहजपाल 2 अभिलेख 1539 और 1561 ई. के देवप्रयाग से प्राप्त हुए!
206. श्याम शाह के समय जेसुएट पादरी श्रीनगर आया था 1624 में पादरी अन्तोनिया दे आन्द्रोद श्रीनगर आया था! श्याम शाह के काल में ही सती प्रथा के पहले साक्ष्य मिलते हैं!
207. मौलाराम ने महिपति साह को प्रचंड भुंजदंड कहा है! महिपति शाह ने ही रोटी सूची प्रथा चलाई थी!
208.1635 से 1640 तक पृथ्वीपति शाह की संरक्षिका महारानी कर्णावती रही!
209.
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