Tuesday, April 12, 2022

घनश्याम जोशी भाग 1

1.उत्तराखंड में पुरातत्व की खोजो का श्रेय हेनवुड को जाता है इन्होंने 1856 में  देवीधुरा से महापाषाण कालीन अवशेषो को खोजा था! 
2.1951 में हरिद्वार के निकट बहादराबाद में ताम्र उपकरण और मृदभांड खोजें 1952 में की गई!  इसी स्थल से यशोधर मठपाल ने भी उत्तर पाषाण कालीन अवशेष खोजें! 
3.डॉक्टर धर्मपाल अग्रवाल ने थापली (उत्तरकाशी) से प्राप्त मृदभांड का काल 300 ईसवी पूर्व का बताया है! 
4.धनखलगांव (बग्वालीपोखर) पुरोला थापली के समान चित्रित  धूसर मृदभांड मिले हैं! 
5. धनखलगांव  रानीखेत के बग्वालीपोखर में है यहां से चित्रित मृदभांड कुमाऊं विश्वविद्यालय ने 1998 में एमपी जोशी और बीडीएस नेगी के संरक्षण में खोजें! 
6.डॉक्टर यशोधर मठपाल ने अल्मोड़ा में पश्चिमी रामगंगा घाटी तथा नैनीताल से पुरापाषाण कालीन पाषाण उपकरण खोजें! 
9.शिव प्रसाद डबराल ने 1956 ईस्वी में मलारी गांव से महापाषाण कालीन  शवाधानो को खोजा था! इन शवाधानो को राहुल सांकृत्यायन खशो की समाधियों के रूप में उल्लेखित किया इस प्रकार के शमाधान सानणा  एवं बिसेडी गांव से भी प्राप्त हुए! 
10.1877 ईस्वी में रिबेट कार्नक ने द्वाराहाट के चंद्रेश्वर मंदिर से कपमार्क्स खोजें और डॉक्टर यशोधर मठपाल ने इस तरीके के  कपमार्क्स रामगंगा घाटी के नौला गांव से खोजे थे! 
11.लाखुगुफा की खोज 1968 में  महेश्वर प्रसाद जोशी ने की थी यह अल्मोड़ा के सुयाल नदी के तट पर है! 
12.ग्वारखा गुफा डूंगरी गांव चमोली में है यहां से लाल रंग के 8 मानव तथा 7 पशु आकृति इंगित है! 
13.चमोली जिले में पिंडर घाटी के  किमनी गांव से खोजे गए  यहां से मानव एवं पशु आकृति प्राप्त हुई है क्योंकि हल्के श्वेत रंग की है! 
14.कोल प्रजाति को उत्तराखंड की सर्वाधिक पूरा प्रजाति माना जाता है! 
15. कालिदास तथा बाणभट्ट की पुस्तकों में भी कोल जाति का वर्णन है पूरा साहित्य में इन्हें मुण्ड या शबर कहा गया है! 
16.कोल सिंधु सभ्यता के समान मृत्युको को खुले में फेंक देते थे! 
17.इनमें कुंवारा कुमारी प्रथा पाई जाती है! 
18.जौनसारी जनजाति उत्तराखंड के सर्वाधिक  जनसंख्या वाली जनजाति है! 
19. जौनसारी जनजाति अपने को पांडवों का वंशज बताती है! और कुंती को पूजती है! 
19.इनका समाज 3 वर्ग में बटा होता है- खसास, कारीगर, हरिजन खसास, 
20.जौनसारी जनजाति में संयुक्त परिवार प्रथा प्रचलित है और परिवार पितृसत्तात्मक होता है पहले यहां बहुविवाह प्रचलित था! 
21.जौनसारी समाज खुमरी और सयाणा प्रथा प्रचलित है! 
22.जौनसारी जनजाति का प्रमुख देवता महासू और प्रमुख तीर्थ लाखामंडल है! 
23. जौनसारी जनजाति के प्रमुख त्योहार विस्सु(बैसाखी),पाचोई(दशहरा),दियाई(दिपावली) और माघ  मेला है! 
24. जौनसारी जनजाति संगीत तथा नृत्य प्रेमी होती है रास रासो पांडववाला बराड़ी गाण्डिया पौवई आदि नृत्य और गायन  पसंद करते हैं! 
26. जौनसारी जनजाति का प्रमुख व्यवसाय कृषि है! 
27.किरात को स्कंदन पुराण के केदारखंड में भिल्ल शब्द से संबोधित किया है! 
28.किरात संयुक्त परिवार और मंगल प्रजाति से संबंधित थे शिव इनके  आराध्य देव थे! 
29. महाभारत की सभा पर्व में खशो का वर्णन है! इन्होंने महाभारत में कौरवों का साथ दिया था! 
30. राजशेखर ने  काव्य मीमांसा मे मध्य हिमालय के कार्तिकेय नगर में खशो  का उल्लेख किया! 
31.1885 ब्रिटिश काल में खशो  को शुद्र वर्ग में रखा गया! 
33.घर जमाई, जेलों, झटेला ठेकुवि प्रथा खसो में दिखाई देती है! 
34.भोटिया जनजाति को किरात प्रजाति से जोड़ा जाता है! 
35.ग्रंथों तथा अभिलेखों में भोटिया को शौका शब्द से संबोधित किया! 
36.ग्रीष्म काल(अप्रैल से जून) में भोटिया जनजाति निकली घाटी में जाते हैं! 
37. भोटिया जनजाति के समूह को स्थानीय भाषा में कुंज कहा जाता है! 
38.भोटिया जनजाति का मुख्य व्यवसाय पशुपालन तथा व्यापार है! 
39.भोटिया स्वयं को हिंदी क्षत्रिय मानते हैं! 
40. भोटिया जनजाति में राठ को बिरादरी का सूचक माना जाता है! 
41.भोटिया परिवार पितृसत्तात्मक तथा संयुक्त परिवार होते हैं! 
42.भोटिया जनजाति जौ एवं घी के मिश्रित से बने मुख्य खाद्य पदार्थों को यह सत्तू कहते हैं! 
43.भोटिया जनजाति शराब को पवित्र मानती है और शराब को च्यकती या द्वेग  कहती है! 
44. भोटिया जनजाति चावल से निर्मित पेय पदार्थों को यह जान कहते हैं! 
45. दहेज प्रथा भोटिया जनजाति में प्रचलित नहीं है! 
46.रड-बड प्रथा दारमा एवं व्यास घाटी के भोटिया जनजाति में प्रचलित है! 
47.भोटिया जनजाति में वर्षा के देवता को घुरमा देवता और संपत्ति के देवता को घबला देवता कहते हैं! 
48.भोटिया और तिब्बत व्यापारियों के बीच व्यापार संस्कार सुल्जी और मुल्जी है! 
49.उत्तराखंड का सबसे प्राचीन व्यापारिक मेला बागेश्वर का उत्तरायणी मेला है जो मकर संक्रांति के दिन लगता है! यहां मेला गोमती तथा सरयू नदी के संगम में लगता है! 
50. टिहरी रियासत का प्रथम राजा सुदर्शन शाह था जिसका कार्यकाल 1815 से 1857 ईसवी तक था
51. दूसरा प्रमुख व्यापारिक मेला जौलजीबी मेला है जो 14 नवंबर 1914 से लगातार लग रहा है! यह मेला काली तथा गोरी गंगा के संगम में लगता है! 
52.तीसरा प्रमुख व्यापारिक मेला थल मेला है जो कि अप्रैल महा में लगता है! 
53. टिहरी में 6 राजाओं ने शासन किया सुदर्शन शाह(1815-1857)भवानी शाह(1857-71)प्रताप शाह(1871-86)कृति शाह(1886-1913) नरेंद्र शाह(1913-50)मानवेंद्र शाह(1950) 
54.1825 से 1842 तक देहरादून का डिप्टी कमिश्नर टिहरी रियासत का एजेंट होता था! 1842 में कुमाऊं कमिश्नर को यह जिम्मेदारी दी प्रारंभ में यह जिम्मेदारी कुमाऊं कमिश्नर के पास थी! 
55.टिहरी रियासत को 1937 दिन में पंजाब हिल स्टेशन एजेंसी के साथ संयुक्त कर दिया गया था! 
56.1839 में गढ़वाल जिले का निर्माण हुआ! 
57.तराई जिला 1842 में अस्तित्व में आया! 
58. उत्तराखंड के औपनिवेशिक क्षेत्र का प्रथम कमिश्नर ए गार्डनर थे! 
59. कुमाऊ के प्रथम कमिश्नर जीडब्ल्यू ट्रेल थे! 
60. हैनरी रैमजे के काल को उत्तराखंड में ब्रिटिश औपनिवेशिक काल का स्वर्ण काल कहते हैं! इन्हें कुमाऊ का राजा भी कहा जाता है यह मूल रूप से स्टॉकलैंड के निवासी थे इनका शासनकाल 1856 से 1884 तक था! 
61. उत्तराखंड में कांग्रेस की स्थापना 1912 में हुई जिसे अल्मोड़ा कांग्रेस के नाम से जाना जाता है! 
62.रुड़की कॉलेज की स्थापना 1847 में हुई  1854 में इसे थामसन कॉलेज ऑफ सिविल इंजीनियरिंग नाम देखकर तकनीकी शिक्षा संस्थान बनाया गया यह भारत एवं एशिया का प्रथम इंजीनियर विश्वविद्यालय है! 
63.1882 ईसवी में काठगोदाम से नैनीताल तक सड़क मार्ग का निर्माण किया गया! 
64. सन 1882-84 के मध्य बरेली से काठगोदाम तक रेल मार्ग बिछाया गया परिणाम स्वरूप 24 अप्रैल 1884 प्रथम बार हल्द्वानी में रेल पहुंची सन 1900 में देहरादून में रेलवे स्टेशन की स्थापना की! 
65.1868 में उत्तराखंड का सर्वप्रथम प्रकाशित होने वाला पत्र समय विनोद बना! 
66.1871 में अल्मोड़ा अखबार 1902 में गढ़वाल समाचार 1905 में गढ़वाली समाचार पत्र प्रकाशित हुए! 
67.समय विनोद का प्रकाशन 1878 में बंद हो गया! 
68. खत्याडी गांव अल्मोड़ा में 16 ग्रामीणों ने 21 जुलाई 1930 को  कुली बेगार देने की प्रथा का उल्लंघन किया! 
69. 1913 में अल्मोड़ा अखबार के संपादक बद्री दत्त पांडे जी बने! 
70. पुरुषार्थ एक बार 1918 में प्रकाशित हुआ! 
71. उत्तराखंड में होमरूल लीग की स्थापना 1914/1916 मे हुई! 
72. कुमाऊं परिषद की स्थापना 1916 में हुई! 
73. कुमाऊं परिषद का प्रथम अधिवेशन 1917 में अल्मोड़ा में हुआ जिसकी अध्यक्षता जय देव जोशी ने की इसका दूसरा अधिवेशन दिसंबर 1918 में हल्द्वानी में हुआ इसकी अध्यक्षता तारा दत्त गैरोला जीने की तीसरा अधिवेशन 1920 मे कोटद्वार में हुआ इसकी अध्यक्षता बद्री दत्त जोशी जी ने की चौथा अधिवेशन 1923 ईस्वी में  काशीपुर मे हुआ इसकी अध्यक्षता हर गोविंद पंत जी ने की पांचवा अधिवेशन 1923 में टनकपुर में हुआ इसकी अध्यक्षता बद्री दत्त पांडे जी ने की पांचवा अधिवेशन 1926 में हुआ जिसकी अध्यक्षता बैरिस्टर मुकंदी लाल ने की इसके बाद 1926 में यह कांग्रेस में मिल  गया! 
74. गढ़वाल परिषद की स्थापना 1919 में हुई इस का प्रथम अधिवेशन नवंबर 1920 में कोटद्वार में हुआ! 
75. 14 जून 1929 को गांधी जी उत्तराखंड(कुमाऊँ) के भ्रमण में आए! इस यात्रा का वर्णन उन्होंने अपनी पुस्तक यंग इंडिया में भी किया! 
76 1922/28 में देहरादून से अवैध नामक पत्रिका प्रकाशन हुई! 
77.5 अप्रैल 1915 को गांधी जी हरिद्वार में आए थे दूसरी बार वह हरिद्वार मार्च 1916 मे आये थे! 
78. 12 मार्च 1930 को 240 मिल दांडी यात्रा में उत्तराखंड से ज्योतिरव कांडपाल भैरव देव जोशी खड़क बहादुर शामिल थे
79. 23 अप्रैल 1930 को पेशावर कांड के नायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली बने जो2/18 गढ़वाल राइफल से संबंधित है इस कांड का वर्णन मुंशी प्रेमचंद्र जी ने अपनी पत्रिका हंस में 30 जुलाई 1930 में किया! 
80. वीर चंद्र सिंह गढ़वाली को गढ़वाली की उपाधि महात्मा गांधी जी ने दी! 
81. 1933 के मद्रास बम कांड का संबंध   इंद्र सिंह नयाल से है इसके लिए ने 20 वर्ष की काला पानी की सजा मिली! 
82. गाडोदिया स्टोर डकैती से संबंध भवानी सिंह रावत जी का है! 
83. खुमांड सल्ट में 5 सितंबर 1942 को नरसंहार हुआ इसे गांधी जी ने कुमाऊं के बारदोली की संज्ञा दी! 
84. अल्मोड़ा जेल की स्थापना 1816 हुई! एंव वर्तमान जेल की स्थापना 1872 में हुई
85. मेजर देव सिंह दानू नेताजी सुभाष चंद्र बोस के संरक्षण के तौर पर तैयार किया गया! 
86. रवाई कांड 1930 में हुआ जिसे उत्तराखंड का जलियांवाला बाग भी कहते हैं! 
87. 23 जनवरी 1939 को देहरादून में टिहरी प्रजामंडल की स्थापना की! 
88. 84 दिन के अनशन के बाद 25 जुलाई 1944 को श्री देव सुमन शहीद हुए! 
89. पौणी टूटी एक आयात निर्यात करता था  बरा कर पूर्णता की देखरेख करने वाले समस्त कर्मचारियों के लिए सुविधा शुल्क की भांति था! 
90. राज्य प्रशासन द्वारा 1944 में व्यवस्था का निरीक्षण प्रारंभ किया गया! 
91. 1946 में वीर चंद्र सिंह गढ़वाली जेल से छूटकर आए! 
92. मई 1938 में श्रीनगर में राजनीतिक सम्मेलन हुआ जिसमें पंडित जवाहरलाल नेहरू और विजया लक्ष्मी पंडित श्री देव सुमन मिले! 
93. 24 फरवरी 1944 को श्री देव सुमन पर राजद्रोह का मुकदमा लगा! 
94. श्री देव सुमन की मुलाकात गांधी जी से 1942 में सेवाग्राम वर्धा में हुई थी! 
95. वीरेंद्र  सकलानी की अध्यक्षता में टिहरी में आजाद पंचायत बनाई गई! 
96. 1 अगस्त 1949 को टिहरी रियासत उत्तर प्रदेश राज्य में मिलाई गई! 
97. 39 वी गढ़वाल राइफल के सैनिकों को बेगारी से मुक्त किया गया था! 
98. रैम्जे  के  कुली बेगार का विरोध किसानों ने सोमेश्वर घाटी में किया! 
99.13-14 जनवरी 1921 मे कुली बेगार प्रथा का अंत हुआ! 
100. नायक  जनजाति का उदय चंद राजा भारती चंद के समय हुआ ऐसा मत एटकिंसन साहब का है परंतु लक्ष्मी दत्त जोशी जी ने का यह खस परिवार थे! 
101. 1924 में कुमाऊं कमिश्नर एनसी स्टिप्फ की अध्यक्षता में नायक जाति के लिए एक कमेटी का गठन किया गया 1929 में सरकार द्वारा नायक बालिका सुरक्षा कानून पारित किया गया! 
102. 1925 में अछूत शिल्पकार सम्मेलन का आयोजन हुआ! 
103. 1913 में स्वामी सत्य देव ने शुद्ध साहित्य समिति का गठन किया और 1925 में इन्होंने अल्मोड़ा में अनाथालय की स्थापना की! 
104. प्रथक उत्तराखंड राज्य की मांग सर्वप्रथम कामरेड पीसी जोशी ने 1952 ईस्वी में भारत सरकार के समक्ष ज्ञापन के रूप में रखें! 
105. 1957 ईस्वी में टिहरी नरेश मानवेंद्र शाह ने भी पृथक राज्य आंदोलन के लिए जन संपर्क करना आरंभ किया! 
106. जून 1967 में रामनगर में पर्वतीय राज्य परिषद की स्थापना दया कृष्ण पांडे ने की इस परिषद ने 1973 में बद्रीनाथ से दिल्ली तक पदयात्रा का आयोजन किया! 
107. कुमाऊं राष्ट्रीय मूर्ति की स्थापना पीसी जोशी ने 1970 में कि 1973 में पर्वतीय विकास मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वतंत्र मंत्री की नियुक्ति की गई! 
108. 25 जुलाई 1979 को देवी दत्त पंत जी की अध्यक्षता में उत्तराखंड क्रांति दल की स्थापना की गई! 
109. सन 1991 ईस्वी में भारतीय जनता पार्टी ने भी पृथक राज्य को अपना मुद्दा बना लिया  सन 1991 में उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी सरकार ने 1991 में प्रथम राज्य का प्रस्ताव केंद्र को भेजा! 
110. जुलाई 1992 में उत्तराखंड क्रांति दल ने गैरसैंण  को भावी राजधानी बनाने की मांग की
111.1994 में कौशिक समिति का गठन हुआ! 
112. 1 सितंबर 1994 को धर्मानंद भट्ट प्रताप सिंह गोपीचंद भवानी सिंह भुवन सिंह  परमजीत सिंह शहीद हुए! जिसे 2018 से कुमाऊं दिवस के रूप में मनाया जाता है! 
113. 2 सितंबर 1994 को मसूरी हत्याकांड हुआ जिसमें बेलमती चौहान हनसा धनाई धनपत सिंह राय सिंह मदन मोहन मंमगाई और बलवीर सिंह शहीद हुए! 
114. 2 अक्टूबर 1994 को रामपुर तिराहा कांड हुआ! 
115. 10 नवंबर 1995 को श्रीयंत्र टापू कांड हुआ! 
116. 15 अगस्त 1996 को एचडी देवगोडा ने उत्तराखंड निर्माण की घोषणा की! 
117. 27 जुलाई 2000 को उत्तराखंड प्रदेश पुनर्गठन विधेयक 2000 ईस्वी लोकसभा में पारित किया गया 1 अगस्त को  लोकसभा ने इसे मंजूरी दी  और 10 अगस्त 2000 को राज्यसभा में इसकी स्वीकृति मिली 28 अगस्त 2000 ईस्वी को राष्ट्रपति केआर नारायणन इसे मंजूरी दी इस तरह 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड का निर्माण हुआ! 
118. मयूर ध्वज की खोज 18 सो 87 में मलखान जी ने की यहां से उन्होंने 23 अंडा का मृण्यफलकों की खोज की! इन मृण्यफलकों में योगासन मुद्रा में बौद्ध पाशर्व में अवलोकितेश्वर तथा ब्रजपाणि  उत्तीर्ण है! 
119. थारू जनजाति स्वयं को राजपूत मानती हैं और अपने आप को महाराणा प्रताप का वंशज मानती है! 
120. थारों में संयुक्त परिवार पर था तथा मातृसत्तात्मक प्रथा होती है  स्त्रियों का भी संपत्ति में अधिकार होता है! 
121. जब थारू जनजाति में विवाह पक्का हो जाता है उसे पक्की पौड़ी कहा जाता है विवाह से पूर्व दिखनौरी प्रथा प्रचलित है! 
122. पुन:विवाह से संबंधित लठभरखा भोज थारू जनजाति में प्रचलित है! 
123. थारू जनजाति का मुख्य व्यवसाय कृषि और पशुपालन है! 
124.थारु जनजाति में चावल से निर्मित शराब को जाड कहा जाता है! 
125. बजहर नामक त्यौहार थारू जनजाति का प्रमुख त्योहार है! यह त्यौहार जेठ या वैशाख के महीने में होता है! 
126. झुमडा सेजनी लहचारी थारू जनजाति के प्रमुख नृत्य है! 
127. बुक्सा को उदय जीत का वंशज बताया जाता है जो सबसे पहले उत्तराखंड में बनबसा में बैठे थे इनकी महिलाएं स्वयं को पंवार राजपूत वंश से संबंधित मानती है! 
128. बुक्सा परिवार पितृसत्तात्मक होता है बुक्सा जनजाति  राजनीतिक गठन बिरादरी पंचायत के नाम से जाना जाता है! 
129. बुक्सा जनजाति में बैठाण विवाह प्रचलित है! 
130. बुक्सा जनजाति भूमिया वन देवी हिडिंबा की पूजा करते हैं यहां कृषि तथा पशुपालन करते हैं इनका मुख्य भोजन चावल और मछली है! 
131. इनके प्रमुख त्यौहार होगण भौरो ढलइया है! 
132. राजी जनजाति को वन रावत के नाम से भी जाने जाते हैं या पिथौरागढ़ में सबसे अधिक पाए जाते हैं! 
135. राहुल सांकृत्यायन ने राजी जनजाति को किरातों का वंशज बताया है! 
136. वधू मूल चुकाने की प्रथा राजी जनजाति में प्रचलित है! 
137.  राजी जनजाति मे मकर संक्रांति और कर्क संक्रांति  प्रमुख त्यौहार हैं! 
138.  राजी जनजाति में झूम खेती भी प्रचलित है! 
139. गगन सिंह रजवार राजी जनजाति से चुने जाने वाले प्रथम विधायक है! 
140. कौंणी एक प्रकार का अन्न है जिससे भात बनता है! 
141.गाती खस जाति  का प्रमुख ग्रामीण पोशाक है! 
142. झुमैलो नृत्य विरह वेदना  और मिलन का प्रतीक नृत्य जो युवती द्वारा किया जाता है! 
143. चौफुला नृत्य श्रृंगार एवं  भाव प्रधान नृत्य है जो स्त्री और पुरुष सामूहिक रूप से करते हैं! 
144. थडया नृत्य विवाह के उपरांत पहली बार मायके में आने वाली स्त्री करती है! 
145. छपेली यह एक प्रकार का श्रंगार प्रधान युगल नृत्य गीत है! 
147. वेली न्यौली यह एक प्रकार का बिरह गीत व वन गीत है! 
148. दूसरे विवाह की पत्नी को न्योली कहा जाता है! 
149. देवचेलियो प्रथा खसो में पाई जाती है! 
150. कत्युरी कॉल को उत्तराखंड में शैव धर्म का स्वर्ण काल कहा जाता है! 
151. बहुत बहादुर चंद्र ने मानसरोवर यात्रा मैं अवरोध ना होने के लिए हुणियो के विरुद्ध तिब्बत अभियान किया था! 
152. परमदेव ने  बद्रीनाथ मंदिर के लिए भूमि दान की थी! 
153. राजा ज्ञानचंद ने कत्यूरी घाटी में बद्रीनाथ मंदिर की स्थापना की थी! 
154. पलेठी के सूर्य मंदिर से सातवीं सदी का राजा कल्याण बर्मन का शिलालेख प्राप्त हुआ है तथा तथा कंडारा ताम्र लेख 9 वी सदी का है  जिससे हमें ललित सुखदेव के काल का पता चलता है! 
155. मज्झिम उत्तराखंड में बौद्ध धर्म का प्रथम प्रचारक था! 
156. कत्यूरी काल उत्तराखंड में बौद्ध धर्म के पतन का काल जाना जाता है इस वंश के शासक भूदेव की एक उपाधि बुद्ध शरणम् शत्रु के अनुसार लगता है कि कत्यूरी राजाओं ने बौद्ध धर्म को हतोत्साहित किया! 

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