इस वंश के संस्थापक पुष्यभूति था!
बाणभट्ट के अनुसार थानेश्वर श्रीकंठ जनपद का भाग था जो पंजाब हरियाणा में फैला था!
🎇प्रभाकर वर्धन-
यह इस वंश का वास्तविक संस्थापक कहलाता है!
इसने परमभट्ठारक महाराजाधिराज की उपाधि धारण की थी!
इसकी पुत्री राजश्री का विवाह कन्नौज के मौखरी वंश के राजा ग्रहवर्मन के साथ हुआ था!
Note- राजश्री व ग्रहवर्मन का विवाह भारतीय इतिहास का पहला बाल विवाह है!
इस के दरबार में दो चिकित्सक थे रसायण व सुशेण थे!
इसके दो बेटे थे राजवर्धन और हर्षवर्धन
✴️राजवर्धन-
इसका शासनकाल 605-606ई. तक था!
इसकी हत्या धोखे से गोड नरेश शशांक ने की थी!
✴️ हर्षवर्धन-
इसका शासनकाल 606-647 ई. तक था
इतने अपनी बहन राजश्री के शहर कन्नौज को अपनी राजधानी बनाई
इसकी माता का नाम यशोमती था!
देवभूति ने इसे प्राचीन भारत का अंतिम महान हिंदू सम्राट बताया है!
हर्ष बौद्ध धर्म का अंतिम समर्थक था!
हर्ष ने वल्लभी (गुजरात) के शासक दुलल्लभी को हराया!
🎇नर्मदा युद्ध 630ई.-
इस युद्ध में हर्ष को बदामी के चालुक्य शासक पुलकेशिन द्वितीय ने पराजित किया इस युद्ध की जानकारी हमें एलोरा अभिलेख (कर्नाटक) से मिलती है!
हर्ष की दो मुद्राएं नालंदा व सोनिपत से मिली है जिनमें नंदी का चित्र उत्तीर्ण है!
हर्ष प्रत्येक 5 वर्ष में प्रयाग में महामोक्ष परिपथ का आयोजन करता था!
असम के राजा भास्कर वर्मा का राजदूत हंसबेग हर्ष के दरबार में आया था!
हर्ष के दरबार में ह्वेसांग-
इसकी पुस्तक सी यू की थी!
हर्ष ने कन्नौज में ह्वेसांग की अध्यक्षता में महायान संप्रदाय की सभा करवाई थी!
इसने नालंदा के कुलपति का नाम सीलभद्र बताया!
इसे यात्रियों का राजकुमार या शाक्यमुनि कहते थे!
इसने भारत को ब्राह्मणों का देश कहा है और वाराणसी को रेशम के लिए प्रसिद्ध बताएं!
इसने रहट (सिंचाई यंत्र) का वर्णन किया है जिसे सर्वप्रथम प्रमाण शक काल में मिलता है!
हर्ष के दरबार में बाणभट्ट था जिसने हर्ष चरित्र तथा कादंबरी की रचना की थी!
647 ईसवी में निसंतान हर्ष की मृत्यु हुई इसके बाद सामंतवाद का उदय हुआ है!
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