अभिव्यक्ति की सार्थक लघुत्तम वाक् ध्वनि को वर्ण कहते हैंl
Important-
👉 भाषा की सबसे छोटी मौखिक इकाई ध्वनि है!
👉 भाषा की सार्थक लघुतम इकाई शब्द कहलाती है!
👉 पद की सबसे छोटी इकाई अक्षर है!
👉 भाषा की सार्थक इकाई वाक्य है!
वर्णों के व्यवस्थित समूह को वर्णमाला कहते हैंl
हिंदी वर्णमाला-
हिंदी वर्णमाला में कुल वर्ण 52 है है परंतु इनकी मूल संख्या 44 है इसमें स्वरों की मूल संख्या 11 व व्यंजनों की मूल संख्या 33 हैl
Note- स्वर की संख्या 11 तथा व्यंजनों की कुल संख्या 39 और दो अयोगवाह वर्ण (अं,अ:) होते हैं इनको मिलाकर कुल वर्णमाला मे वर्णों की संख्या 52 होती है!
वर्ण के भेद
हिंदी वर्णमाला में वर्णों के दो भेद होते हैं-
स्वर वर्ण
व्यंजन वर्ण
स्वर वर्ण- जिनका अपना स्वतंत्र अस्तित्व होता है और बोलने में कम समय लगता है उन्हें स्वर कहते हैं!
Note- वर्ण के उच्चारण में लगने वाले समय को मात्रा कहते हैं 'अ' को छोड़कर प्रत्येक स्वर की मात्रा होती है!
स्वर के मुख्यतः तीन भेद होते हैं-
ह्रस्व स्वर/लघु स्वर/मूल स्वर- जिन स्वरों के उच्चारण में कम समय लगे उन्हें मूल स्वर कहते हैं!
यह चार प्रकार के होते हैं- अ,इ,उ, ऋ
नोट- वर्ण के उच्चारण में लगने वाले समय को मात्रा कहते हैं!
'ऋ' लिखने की दृष्टि से स्वर है परंतु उच्चारण की दृष्टि से व्यंजन है!
दीर्घ स्वर/संयुक्त स्वर- जिन स्वरो के उच्चारण में मूल स्वर से दुगना समय लगे उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं ये 7 प्रकार के होते हैं-
आ- अ/आ+अ/आ
ई- इ/ई+इ/ई
ऊ-उ/ऊ+उ/ऊ
ए- अ/आ+इ/ई
ऐ-अ/आ+ए/ऐ
ओ- अ/आ+उ/ऊ
औ- अ/आ+ओ/औ
Note- ए,ओ को शुद्ध संयुक्त स्वर कहते हैं!
3- प्लुत स्वर- वे स्वर जिनके उच्चारण में मूल स्वर से समय लगे और नाटक की व्यंग के लिए प्रयोग किया जाए- ओऊम (ॐ)
स्वर के अन्य प्रकार-
👉 जीभ की क्रियाशीलता के आधार- इसके स्वर तीन प्रकार के होते है-
1-अग्र स्वर- जिन स्वरों के उच्चारण में जीभ का अग्रभाग सक्रिय होता हो वह अग्रस्वर कहलाते है!
यह चार प्रकार के होते हैं- इ,ई, ए,ऐ
2-मध्य स्वर- जिन स्वरो के उच्चारण में जीभ का मध्य भाग सक्रिय होता है उन्हें मध्य स्वर कहते हैं- अ
3-पश्च स्वर- वे स्वर जिनके के उच्चारण में जीभ का पश्च भाग सक्रिय होता हो उन्हें पश्च स्वर कहते हैं- आ, उ, ऊ, ओ, औ, ऑ
Note- 'ऑ' का प्रयोग अंग्रेजी शब्दों के लिए किया जाता है- कॉलेज डॉक्टर इत्यादि
👉ओष्ठों के गोलाई के आधार पर- होठों/ओष्ठों की गोलाई के आधार पर स्वरो को दो भागों में बांटा गया-
1- व्रत्तमूखी स्वर- जिन स्वरों के उच्चारण में होठों का आकार गोलाकार होता है उन्हें व्रत्तमूखी या वृत्ताकार स्वर कहते हैं- उ, ऊ, ओ, औ, ऑ
2-अव्रत्तमुखी स्वर- जिन स्वरो के उच्चारण मे होठों का आकार वृत्ताकार ना हो उन्हें अव्रत्तमुखी या अव्रत्तमुखी स्वर कहते है- अ, आ, इ, ई, ए, ऐ
👉मुखाकृति के आधार पर स्वरों का वर्गीकरण-
1. संवृत स्वर-संवृत स्वर के उच्चारण में मुख द्वार सकरा हो जाता है। ये संख्या में चार होते है - इ , ई , उ , ऊ
2. अर्द्ध संवृत स्वर -अर्द्ध संवृत स्वर के उच्चारण में मुख द्वार कम सकरा होता है। ये संख्या में 2 होते है - ए , ओ
3. विवृत स्वर-विवृत स्वर के उच्चारण में मुख द्वार पूरा खुला होता है। ये संख्या में 2 है - आ , आँ
4. अर्द्ध विवृत स्वर-अर्द्ध विवृत स्वर के उच्चारण में मुख द्वार अधखुला होता है। ये संख्या में 4 होते है - अ , ऐ , औ , ऑ
👉 हवा के मुंह या नाक से निकलने के आधार पर- हवा के मुंह या नाक से निकलने के आधार पर स्वरों को दो भागों में बांटा गया!
1-अनुनासिक स्वर- जिन स्वरो के उच्चारण में वायु मुख के साथ-साथ नाक से बाहर निकलती है उन्हें अनुनासिक स्वर कहते हैं अनुनासिक स्वरूप को चंद्रबिंदु लगाकर दिखाया जाता है- जैसे- अँ,एँ,
अन्य उदाहरण शब्द रूप - अंधेरा आंखें ऊँट
2- निरनुनासिक- जिन स्वरों के उच्चारण में धोनी केवल मुख से बाहर निकलती है अर्थात वर्णमाला के 11 स्वर निरनुनासिक के अंतर्गत आते हैं!
जैसे- अ,आ, ई....... .............. ओ, औ
👉 जाति के आधार पर स्वर- जाति के आधार पर स्वरों को दो भागों में बांटा गया-
1-सवर्ण/सजातीय स्वर- जिन स्वरूप का उच्चारण समाधि स्थान और समान प्रयत्न से हो सवर्ण स्वर कहलाते हैं- अ, आ, इ, ई, उ, ऊ
2-असवर्ण/विजातीय स्वर- वे स्वर जिन का उच्चारण स्थान अलग और प्रयत्न भी अलग असवर्ण स्वर कहलाते हैं- ए, ऐ, ओ, और
👉 उच्चारण स्थान के आधार पर स्वर- स्वरों के उच्चारण के समय जीह्वा मुख के विभिन्न भागो को स्पर्श करती है इस आधार पर इनका वर्गीकरण निम्न है-
(1) कण्ठय् स्वर – अ, आ, अः
(2) तालव्य स्वर – इ, ई
(3) मूर्धन्य स्वर – ऋ
(4) ओष्ठम स्वर – उ, ऊ
(5) कण्ठ तालव्य स्वर – ए, ऐ
(6) कण्ठ ओष्ठ स्वर – ओ, औ
(7) नासिक्य स्वर – अं
👉नोट- अं,अ: अयोगवाह वर्ण होते हैं अं को अनुस्वार और अ: को विसर्ग कहते है! इनको स्वरों की श्रेणी में नहीं रखा जाता है!
👉 सभी स्वर सघोष तथा अल्पप्राण होते हैं!
Note- सघोष का अर्थ होता है जिन्हें बोलने में कंपन उत्पन्न हो और अल्पप्राण में होता है जिनके उच्चारण करने पर हुआ मुख से कम बाहर निकले !
व्यंजन
लेखन जारी है...........
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