Tuesday, March 2, 2021

सरला बहन.......???

इंग्लैंड निवासी कैथरीन मैरी हेल्मन महात्मा गांधी के विचारों से इतनी प्रभावित हुईं कि 1932 में वह उनसे मिलने भारत आ पहुंचीं। गांधी जी की सलाह पर उन्होंने अपना नाम सरला बहन रख लिया। 1941 में वह अल्मोड़ा आ गईं। कौसानी के निकट चनौदा गांधी आश्रम में रहकर उन्होंने सामाजिक कार्यों के साथ ही भारत की आजादी के लिए हुए आंदोलन में भी बढ़ चढ़कर भागीदारी की। उन्हें दो बार जेल भी जाना पड़ा। गांधीवादी विचारधारा और महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने 1946 में कस्तूरबा महिला उत्थान मंडल (लक्ष्मी आश्रम कौसानी) की स्थापना की
उत्तराखंड में पर्यावरण संरक्षण, ग्राम स्वराज के साथ ही सामाजिक कुरीतियों से समाज को जागरूक करने में सरला बहन का अहम योगदान रहा। उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं। उन्होंने ‘संरक्षण और विनाश’ किताब के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण और पारिस्थितिकी संतुलन की वास्तविक स्थिति तथा वैचारिक पहलुओं को उठाया। आठ जुलाई 1982 को उनका देहांत हो गया। लक्ष्मी आश्रम ने सांस्कृतिक मंत्रालय द्वारा दी गई सवा लाख रुपये की आर्थिक सहायता से सरला बहन की स्मृति में अनासक्ति आश्रम के समीप संग्रहालय का निर्माण कराया है।